*भारतीय राजनीति के गलियारों मे चिंता व चिन्तन होने लगा है कि राजनीतिक दल अपने नेताओं को केवल चुनाव जिताने वाली मशीनें न समझें, बल्कि उन्हें संवैधानिक जिम्मेदारी,नेता अपनी भाषा की मर्यादा और सामाजिक समरता व संतुलन का पाठ पढ़ाएं* *चुनाव आयोग को भी ऐसे बयानों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कठोर निर्देश और दंड का प्रावधान करना चाहिए ताकि यह संदेश स्पष्ट हो जाए कि कोई भी व्यक्ति संविधान से ऊपर नहीं है।ऐसे बयान बाज बड़बोले नेता से बिगड़ बोल से जनता भारी आक्रोश व्याप्त है* सम्पूर्ण विश्व का ध्यान इन दिनों भारत पर टिकी हुई है। विशेषकर अन्तराष्ट्रीय राजनीति विशेलषज्ञों का,विगत दिनों पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाक युद्ध से जो स्थिति उत्पन्न हुई थी।जिसमें हमारी पराक्रमी सेनाओं नें आतंकी के आकाओं पाकिस्तान के सरजर्मी में घुस कर उनके ठिकानों जमींदोष कर दिया है।जिसके बाद हमारे सेनाओं व देश - विदेशों में की जय जयकार हो रही थी,तभी मध्य प्रदेश के एक बड़ बोले भाजपा के कैबनेट मंत्री नें एक जन सभा में गैर जिम्मेदार ब्यान बाजी का बेसुरा राग अलाप दिया । यह मामला मध्य प्रदेश के उच्च न्यायलय में पहुँच गया।परिणाम की गंभीरता को भापते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी को लेकर भाजपा मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दिया। उच्च न्यायलय ने पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया कि आज शाम 6 बजे तक एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि ऐसा न करने पर न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।वही मंत्री के वकील ने तर्क दिया कि अदालत का आदेश पूरी तरह से अख़बारों की रिपोर्टों पर आधारित था।अदालत ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता(बीएनएस)की धारा 196,जो धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी भड़काने वाले भाषणों या कार्यों को दंडित करती है,इस मामले में प्रथम दृष्टया लागू होती है।मध्य प्रदेश में मंगलवार को उस समय राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया।राज्य के आदिवासी मामलों के मंत्री विजय शाह ने ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया को जानकारी देने वाली दो महिला सैन्य अधिकारियों में से एक कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में टिप्पणी की।कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने टिप्पणी को “शर्मनाक और अश्लील” कहा।विपक्ष की ओर से व्यापक निंदा और अपनी ही पार्टी के भीतर आलोचना के बाद उन्होंने मंगलवार को माफ़ी मांगी।कर्नल सोफिया कुरैशी का स्पष्ट संदर्भ देते हुए शाह ने कहा, जिन्होंने हमारी बेटियों को विधवा बनाया,हमने उन्हें सबक सिखाने के लिए उनकी अपनी बहन को भेजा।ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होने के बाद से कुरैशी ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मीडिया को कई बार जानकारी दी थी। वही राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कर्नल सोफिया कुरैशी के प्रति अपमान जनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है तथा समाज से सशस्त्र बलों में सेवारत महिलाओं के प्रति सम्मान दिखाने का आह्वान किया है।हालांकि एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया,लेकिन उनकी टिप्पणी मध्य प्रदेश के मंत्री द्वारा कर्नल कुरैशी के खिलाफ की गई टिप्पणी से उपजे जनाक्रोश के बाद आई है।उन्होंने कहा,यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं। इससे न केवल हमारे समाज में महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है,बल्कि देश की उन बेटियों का भी अपमान होता है जो देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रही हैं। आप को बता दे कि उच्च न्यायालय के आदेश पर मंत्री पर एफ आई आर दर्ज होने के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया।जहाँ विजय शाह के द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है।इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए एफआईआर के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद मंत्री विजय शाह की मुश्किलें बढ़ीं,सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप एक मंत्री है,ऐसे संवेदन शील वक्त में एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को सोच समझकर बोलना चाहिए।सीजेआई ने कहा कि आप जानते हैं ना कि आप कौन हैं? इस पर विजय शाह ने वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने माफी मांग ली है।मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है।उनके वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने ऑर्डर पास करने से पहले हमें नही सुना गया।सीजेआई ने कहा कि आप हाई कोर्ट के समक्ष क्यों नहीं गए?जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।सर्वविदित रहे कि विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक बयान दिया था।उन्होंने एक जनसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लेकर विवादित बयान दिया था।इस पूरे मामले पर विवाद गहराने के बाद विजय शाह ने आजतक से बातचीत के दौरान माफी मांगते हुए कहा था कि मैं सपने में भी कर्नल सोफिया बहन के बारे में गलत नहीं सोच सकता।न ही मैं सेना के अपमान की बातें सपने में सोच नही सकता हुँ।सोफिया बहन ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर देश की। इसी बीच एक और विवाद खड़ा हुआ जब मध्य प्रदेश केउपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने एक सभा में अपने बड़ बोलेपन कह दिया कि “पूरा देश और सेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक है।” जो हमारी भारतीय सेना की गरिमा पर सीधा प्रहार था। देश की सेना एक संवैधानिक संस्था है,तीनों सेना के महामहिम राष्ट्रपति होता,जिसका स्पष्ट उल्लेख संविधान में वर्णित है।देश की सेना न किसी राजनीतिक दल की है,न किसी व्यक्ति विशेष की होती है।जो अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित होती है।उसका समर्पण संविधान,राष्ट्र और उसकी अखंडता के प्रति है किसी नेता या सरकार के प्रति नहीं।सम्पूर्ण विपक्ष ने इस पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि भाजपा अपनी ‘व्यक्ति पूजा’ की राजनीति में सेना जैसे पवित्र संस्थान को भी लपेटने से नहीं चूकती।उत्तर प्रदेश में भी राजनीतिक बयानबाजी ने नई हदें पार कीं जब समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह के लिए जातिसूचक टिप्पणी की।बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने को भी छिन्न-भिन्न करने वाली थी।मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इसे सेना और समाज दोनों का अपमान करार दिया।भाजपा के कई अन्य नेताओं ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी।वहीं,रामगोपाल यादव ने बाद में सफाई दी कि उन्होंने ऐसा किसी दुर्भावना से नहीं कहा, लेकिन सवाल फिर वही उठता है क्या इतने वरिष्ठ नेता को यह नहीं पता कि सार्वजनिक मंच से जातिसूचक शब्द कहना सामाजिक और संवैधानिक दोनों स्तरों पर अपराध है? भारतीय राजनीति के गलियारों मे चिंता व चिन्तन होने लगा है कि राजनीतिक दल अपने नेताओं को केवल चुनाव जिताने वाली मशीनें न समझें,बल्कि उन्हें संवैधानिक जिम्मेदारी,नेता अपनी भाषा की मर्यादा और सामाजिक समरता व संतुलन का पाठ पढ़ाएं।मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को भी ऐसे बयानों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कठोर निर्देश और दंड का प्रावधान करना चाहिए ताकि यह संदेश स्पष्ट हो जाए कि कोई भी व्यक्ति संविधान से ऊपर नहीं है।ऐसे बयान बाज बड़बोले नेता से बिगड़ बोल से जनता भारी आक्रोश व्याप्त है।बही हमारी सेना जो अपने घर परिवार से दुर शरहदों पर दिन राष्ट्र सेवा में ना केवल लग रहते है - वे भारत मॉ की आन बान व शान के लिए मर मिटने को हमेशा तैयार रहते है।भारत माँ की रक्षा में अपने प्राणों को निछावर कर देते है। क्या ये बयान बाज बड़ बोले नेताओं को जनता जनार्दन उसे इन्हीं दिनों के लिए अपना बहुमूल्य मत दे संबैधानिक पदों पर सुशोमित किया है। कई सबाल के जबाव जनता नेता पूछती है। (नोट - लेखक स्वतंत्र पत्रकार व स्तम्भकार है।) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस/ 18 मई 25