राष्ट्रीय
19-May-2025


नई दिल्ली,(ईएमएस)। देशभर में साइबर अपराध की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश इस खतरे का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। यहां साइबर ठगों की जड़ें इतनी गहराई तक पहुंच चुकी हैं कि वर्ष 2022 से 2024 के बीच 530 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी को अंजाम देने के लिए 2.21 लाख फर्जी बैंक खाते खोल लिए गए। ये रकम केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुबई, म्यांमार और जॉर्जिया जैसे देशों तक भेजी गई। जानकारी अनुसार राज्य साइबर सेल की जांच में यह तथ्य निकलकर सामने आया कि इन खातों का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट, ओटीपी ठगी, और सोशल इंजीनियरिंग जैसे अपराधों में किया गया। ठगों ने ग्रामीणों को प्रति माह 10,000 रुपये कमाई का लालच देकर उनसे बैंक खाते खुलवाए और उनका दस्तावेज़ी इस्तेमाल किया। यही कारण रहा कि फर्जी खातों की संख्या तेजी से बढ़ती चली गई। जानकारी अनुसार वर्ष 2022 में 187 म्यूल अकाउंट्स (फर्जी खाते) दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में इनकी संख्या बढ़कर 6,793 हो गई और हैरान करने वाली बात तो यह रही कि साल 2024 में ये फर्जी खाते 2,14,016 तक पहुंच गए। कुल (2022-24) तक 2,20,996 म्यूल अकाउंट्स दर्ज किए गए हैं। इससे सिद्ध होता है कि इस तरह से साइबर ठगी खूब परवान चढ़ी है। अनुमान है कि वर्ष 2025 के अंत तक यह आंकड़ा 4.5 लाख को पार कर जाएगा। जहां तक कार्रवाई का सवाल है तो बताते चलें कि राज्य साइबर सेल ने 52.85 करोड़ रुपये की रकम फ्रीज की है और कई गिरोहों को पकड़ने में सफलता भी हासिल की है। फिर भी यह खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कौन हैं साइबर ठगी के हॉटस्पॉट? जांच में सामने आया है कि मध्य प्रदेश के 11 जिले — भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, मुरैना, शिवपुरी, रीवा, सतना, सिंगरौली और कटनी — साइबर ठगों की गतिविधियों के केंद्र बन चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कम पढ़े-लिखे लोगों को टारगेट कर फर्जी खातों का जाल बिछाया गया है। नाबालिगों का इस्तेमाल और खाता व्यापार का खुलासा भोपाल में पकड़े गए एक गिरोह ने 300 नाबालिगों के आधार कार्ड से फर्जी खाते खुलवाए और इन्हें 10,000 रुपये मासिक किराए पर देकर 2 करोड़ रुपयों की कमाई की। वहीं रायपुर से आए दलालों ने सिंगरौली और अन्य गांवों में जाकर ग्रामीणों के बैंक खाते खरीदे। क्या है म्यूल अकाउंट? म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते होते हैं जिन्हें असली खाताधारक की जानकारी या सहमति के बिना ठग इस्तेमाल करते हैं। कई बार ये खाते लोगों से झूठे वादों या किराए के लालच में खुलवाए जाते हैं। इन खातों का प्रयोग अपराध की राशि को ट्रांसफर और छिपाने के लिए किया जाता है। हिदायत/ईएमएस 19मई25