लंदन (ईएमएस)। बावन साल के एक शख्स ने कैंसर से लड़ने के लिए पारंपरिक इलाज नहीं चुना बल्कि प्रकृति की गोद में जाकर जीवन को गले लगाया –और परिणाम चमत्कारी रहे। शख्स को ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और लिंफोमा (लसीका ग्रंथि का कैंसर) का पता चला। डॉक्टरों ने तुरंत कीमोथेरेपी और रेडिएशन का सुझाव दिया, लेकिन उन्होंने यह रास्ता नहीं चुना। उन्होंने खुद पर भरोसा किया और प्रकृति के साथ एक अनोखा प्रयोग शुरू किया। उन्होंने करीब 300 किलोमीटर की दूरी 4 डिग्री सेल्सियस के बर्फीले पानी में तैरकर पूरी की। हर हफ्ते एक रात जंगल में अकेले बिताई और खुद को बीमारी से लड़ने के बजाय जीवन से प्रेम करने के लिए तैयार किया। उनका विश्वास था कि शरीर में बीमारी से लड़ने की प्राकृतिक शक्ति होती है, बस उसे सही वातावरण चाहिए। पहली बर्फीली तैराकी के बाद उनके खून की जांच में पाया गया कि ल्यूकेमिया पूरी तरह गायब हो चुका है। इसके बाद 10 महीने तक जंगल में समय बिताने के बाद लिंफोमा का भी कोई निशान नहीं बचा। उनके डॉक्टर खुद इस बदलाव को देखकर दंग रह गए। डॉक्टर ने कहा, “अगर मैंने खुद उनका टेस्ट नहीं किया होता, तो कभी विश्वास नहीं करता कि उन्हें कैंसर था।” वैज्ञानिक शोध भी अब इस तरह के प्राकृतिक उपचारों का समर्थन कर रहे हैं। रिसर्च के अनुसार, ठंडे पानी में नियमित रूप से डुबकी लगाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जंगल में बिताया गया समय शरीर के नैचुरल किलर सेल्स को 50 से 200 गुना तक बढ़ा देता है। व्यायाम और सकारात्मक सोच भी कैंसर के दोबारा होने की संभावना को कम करते हैं और जीवन को लंबा करते हैं। आज वह व्यक्ति 64 साल के हैं, पूरी तरह स्वस्थ हैं और दो वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। अब वे लोगों को यह सिखा रहे हैं कि दवाएं अंतिम उपाय होनी चाहिए, पहला नहीं। उनके अनुसार, प्रकृति साइड इफेक्ट्स नहीं देती – वह केवल जीवन देती है। सुदामा/ईएमएस 21 मई 2025