रांची(ईएमएस)।शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार आईएएस विनय चौबे की तबियत बिगड़ गई है। विनय कुमार चौबे को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से बेहतर इलाज के लिए रिम्स भेज दिया गया है।उन्हें मेडिसिन विभाग के सह प्राध्यापक डॉ ऋषि तुहीन गुड़िया की देखरेख में भर्ती किया गया है। विनय कुमार चौबे को रिम्स के पेइंग वार्ड में रखा गया है।कोर्ट के दिशा निर्देश के आलोक में मेडिकल बोर्ड की बैठक हुई थी। रिम्स के सीनियर डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड ने विनय चौबे के इलाज से संबंधित दस्तावेज के आधार पर उन्हें बेहतर इलाज के लिए रिम्स में भर्ती करने की अनुशंसा की। उन्हें किडनी की गंभीर समस्या है। मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा के आलोक में बिरसा सेंट्रल जेल से गुरुवार को उन्हें रिम्स भेज दिया गया।यहां बता दें कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को 20 मई को गिरफ्तार किया गया था।गिरफ्तारी के बाद उन्हें एसीबी की विशेष अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने विनय चौबे और गजेंद्र सिंह को 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। इससे पहले एसीबी ने करीब छह घंटे तक दोनों अधिकारियों से पूछताछ की थी।वर्ष 2021 के अंतिम दिनों में राज्य के शराब व्यापारियों के बीच यह चर्चा शुरू हुई कि 2022-23 से नयी शराब नीति आने वाली है।इसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का दबदबा रहेगा।इन्ही चर्चाओं के बीच उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग लिमिटेड (सीएसएमएल) को झारखंड में शराब के राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया।उत्पाद नीति बनाने में सलाह देने के लिए सरकार ने अरूणपति त्रिपाठी की फीस 1.25 करोड़ रुपए निर्धारित किया।नयी उत्पाद नीति बनाने के बाद उसे राजस्व पर्षद सदस्य के पास सहमति के लिए भेजी गई।उस वक्त अमरेंद्र प्रसाद सिंह राजस्व पर्षद सदस्य थे। उन्होंने उत्पाद नीति पर अपनी असहमति जताते हुए कई मामलों में बदलाव लाने का सुझाव दिया। साथ ही यह टिप्पणी भी कि जिस कंपनी को राजस्व बढ़ाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया, वह अपने राज्य में शराब का राजस्व नहीं बढ़ा पा रही है।झारखंड में शराब के राजस्व का ग्रोथ, छत्तीसगढ़ से ज्यादा है। ऐसे में वह कंपनी झारखंड में राजस्व बढ़ाने के लिए क्या सलाह देगी, ये समझ से परे है। राजस्व पर्षद सदस्य द्वारा दिये गये सुझाव को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए राज्य सरकार ने नयी उत्पाद नीति की घोषणा की।नयी नीति के घोषणा के साथ ही छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट का झारखंड में शराब के व्यापार पर कब्जा हो गया।टेंडर में लगायी गयी शर्तों के मद्देनजर थोक व्यापार इशिता और ओमसाई नाम की कंपनियों के हाथों चला गया।शराब के राजस्व पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए बोतलों को लगाया जाने वाले होलोग्राम बनाने का काम भी छत्तीसगढ़ सिंडिकेट में शामिल प्रिज्म नाम की कंपनी को दे दिया गया। सरकार द्वारा चलायी जाने वाली खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई का काम भी छत्तीसगढ़ की कंपनियों को मिला।नयी उत्पाद नीति की वजह से सबसे पहले देशी शराब बनाने वाली कंपनियां प्रभावित हुईं। 2022-23 से पहले झारखंड में देशी शराब प्लास्टिक के बोतल में बेचने का नियम था। लेकिन छत्तीसगढ़ सिंडिकेट ने प्लास्टिक के बदले शीशे की बोतल में देसी शराब बेचने का नियम लागू करवा दिया। इससे झारखंड में देसी शराब के बॉलिंग प्लांट बंद हो गये।इसके बाद छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में पड़े देसी शराब के स्टॉक को झारखंड में बेचा।इसके बाद झारखंड के देसी शराब बनाने वाली कंपनियों से मिल कर पार्टनरशिप करने की कोशिश की। लेकिन झारखंड की ज्यादातर कंपनियां इसके लिए तैयार नहीं हुई।इन कंपनियों को उत्पाद विभाग के अधिकारियों से मिल कर किसी ना किसी तरह परेशान किया जाता है। इस बीच छत्तीसगढ़ ईडी द्वारा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अरूण पति त्रिपाठी व अन्य को अभियुक्त बनाये जाने के बाद शराब सिंडिकेट के कुछ लोग झारखंड से चले गये। जबकि सिंडिकेट की कुछ कंपनियों के साथ किये गये एकरारनामे को सरकार ने रद्द कर दिया। कर्मवीर सिंह/22मई/25