क्षेत्रीय
22-May-2025
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गुणवत्ताहीन कार्य को छिपाने का किया जा रहा प्रयास गांगुलपारा जलाशय की नहर के लाइनिंग का मामला बालाघाट (ईएमएस). बनते ही नहर की लाइनिंग में दरारें आने लगी हैं। इतना ही नहीं इस गुणवत्ताहीन कार्यों को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। सीमेंट के घोल से दरारों को भरने का कार्य किया जा रहा है। बावजूद इसके विभाग इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। मामला गांगुलपारा जलाशय से निकली नहरों के लाइनिंग के निर्माण कार्य का है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले के परसवाड़ा क्षेत्र की गांगुलपारा सिंचाई परियोजना की मुख्य नहर के मरम्मत का कार्य कराया जा रहा है। इसके लिये जल संसाधन विभाग से 4 करोड़ 27 लाख रुपए की मंजूरी मिली है। विभाग ने नहर की लाइनिंग का कार्य ठेके पर दिया है। उल्लेखनीय है कि जलाशय के पानी से अतिरिक्त भूमि की सिंचाई करने की मंशा से नहरों के सुधार एवं मरम्मत का कार्य करवाया जा रहा है। सीमेंटीकरण होने से जलाशय के पानी से अधिक से अधिक किसानों की भूमि में सिंचाई हो सकेगी। बताया गया है कि गांगुलपारा जलाशय का निर्माण कार्य वर्ष 1960 में पूर्ण कराया गया था। वर्तमान स्थिति में इस नहर प्रणाली की मुख्य नहर और वितरक नहरें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। परियोजना की रूपांकित क्षमता के स्तर पर सिंचाई नहीं हो पा रही है। 15.93 किमी नहर में हो रहा लाइनिंग का कार्य ठेकेदार द्वारा जलाशय की 15.93 किलोमीटर मुख्य नहर की लाइनिंग का कार्य कराया जा रहा है। गांगुलपारा जलाशय से प्रारंभ हुई इस नहर के सीमेंटीकरण का कार्य शुरु किया गया है। मौजूदा समय में सीमेंटीकरण का कार्य बोदा गांव तक ही पहुंचा है। बोदा गांव में एक घटना होने के बाद से निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। दरारों में डाल रहे सीमेंट का घोल नहर के लाइनिंग के कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी की जा रही है। विभागीय अधिकारी के मौके पर मौजूद नहीं होने के कारण ठेकेदार मनमर्जी से कार्य कर रहा है। जिसके चलते नहर के सीमेंटीकरण कार्य होने के साथ ही उसमें दरारें आने लगी है। इन दरारों को ठेकेदार द्वारा छिपाने का भी प्रयास किया जा रहा है। दरारों में सीमेंट का घोल डाला जा रहा है। जिसके कारण नहर के सीमेंटीकरण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। आधा दर्जन से अधिक गांव के किसानों को मिलेगा फायदा नहर की लाइनिंग का कार्य होने से क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांव के किसानों को फायदा मिलेगा। लाइनिंग होने से नहर से टेल एरिया तक पानी पहुंचेगा। जिससे अधिक से अधिक किसान अपने खेतों में सिंचाई का कार्य कर सकेंगे। किसानों को पानी मिलने से वे फसलों को बेहतर उत्पादन भी ले सकेंगे। लेकिन ठेकेदार नहरों के लाइनिंग कार्य में गुणवत्ता की अनदेखी कर किसानों के अरमानों में पानी फेरने का कार्य कर रहा है। इनका कहना है गांगुलपारा जलाशय की 15.93 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर के लाइनिंग का कार्य किया जा रहा है। 4 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से यह कार्य किया जा रहा है। विभाग ने निर्माण कार्य ठेके पर दिया है। समय-समय पर विभागीय अधिकारी निर्माण कार्य का निरीक्षण करते हैं। -उदयसिंह परते, कार्यपालन यंत्री (सर्वेक्षण), जल संसाधन विभाग भानेश साकुरे / 22 मई 2025