नई दिल्ली (ईएमएस)। अब जल्द ही ड्रोन तकनीक के जरिए दुर्गम इलाकों में मछली पहुंचाई जाएगी। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि जीवित मछलियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित और तेजी से पहुंचाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य 70 किलोग्राम तक भार उठाने में सक्षम ड्रोन तैयार करना है, जिससे दूरदराज और कठिन इलाकों में भी मछलियों की आपूर्ति संभव हो सके। एक विशेष कार्यक्रम में डॉ. लिखी ने राज्यों से आग्रह किया कि वे नवाचार आधारभूत ढांचे और संस्थागत सहयोग के जरिए मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत बनाएं। उन्होंने मछुआरों की सुरक्षा और उनके कार्यों की दक्षता बढ़ाने के लिए सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की बात कही। इसमें रिसोर्स मैपिंग, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसी तकनीकों को शामिल किया गया है। सरकार की प्राथमिकता अब ग्रीन और ब्लू सस्टेनेबिलिटी सिद्धांतों से जुड़ी स्मार्ट और एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास पर है। इसके अलावा, ड्रोन तकनीक को मजबूती देने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर और सब्सिडी ढांचे को बेहतर बनाने की बात कही गई। आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) संस्थानों की मदद से उन्नत मत्स्य पालन तकनीक को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। मत्स्य प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में क्लस्टर विकास और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती देने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। मत्स्य पालन को बढ़ाने के लिए ‘अमृत सरोवर’ योजना का अधिक लाभ लेने की भी बात कही गई है और राज्यों से इसमें सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई है। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने सजावटी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के निर्माण का भी सुझाव दिया। इससे इन क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा। सुबोध\२४\०५\२०२५