व्यापार
25-May-2025
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- मानसून की प्रगति पर जानकारी भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेगी मुंबई (ईएमएस)। इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजार की चाल वृहद आर्थिक आंकड़ों की घोषणाओं, वैश्विक रुख और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों से तय होगी। विश्लेषकों का यह कहना है। वैश्विक अनिश्चितताओ के बीच बीते सप्ताह स्थानीय शेयर बाजार गिरावट में रहे थे। बाजार के जानकारों ने कहा ‎कि वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों की वजह से बीते सप्ताह स्थानीय शेयर बाजार का प्रदर्शन सुस्त रहा है। वैश्विक मोर्चे पर अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी और अमेरिका के बढ़ते कर्ज के बोझ को लेकर चिंताओं के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निकासी बढ़ी। इससे भारत सहित अन्य उभरते बाजारों पर दबाव पड़ा। इस सप्ताह 28 मई को भारत के अप्रैल के औद्योगिक उत्पादन और विनिर्माण उत्पादन के आंकड़े और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के आंकड़े आने हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की सुधार की स्थिति के बारे में जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मानसून की प्रगति पर जानकारी भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेगी। वैश्विक मोर्चे पर अमेरिकी बॉन्ड बाजार के घटनाक्रम, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के ब्योरे और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता से भी बाजार की धारणा प्रभावित होगी। मई के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान और कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों के अंतिम दौर का भी बाजार पर प्रभाव पड़ेगा। सप्ताह के दौरान बजाज ऑटो, अरविंदो फार्मा और आईआरसीटीसी जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे आएंगे। बाजार ‎‎विशेषज्ञ कहते हैं ‎कि आगे बाजार का रुख मजबूत रहने की उम्मीद है। वृहद आर्थिक आंकड़े और कंपनियों तिमाही नतीजे बाजार को समर्थन प्रदान करेंगे। निवेशकों की नजरें इस सप्ताह जारी होने वाले इन आंकड़ों पर रहेगी। इस सप्ताह भारत और अमेरिका के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े भी आएंगे। विश्लेषकों का कहना है कि इस सप्ताह बाजार के भागीदार सबसे पहले रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरण और राजकोषीय नीति के लिए इसके निहितार्थ पर प्रतिक्रिया देंगे। अमेरिकी अर्थव्यवस्था, विदेशी निवेश प्रवाह और व्यापार वार्ताओं को लेकर जारी अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय बाजार में निकट भविष्य में एकीकरण का दौर देखने को मिल सकता है। एक विशेषज्ञ ने कहा कि बढ़ते कर्ज के कारण अमेरिकी राजकोषीय स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं के बीच पिछले पूरे सप्ताह बाजार में उतार-चढ़ाव रहा। एक शोध प्रमुख ने कहा ‎कि निवेशकों का ध्यान अब अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता और मजबूत घरेलू वृहद आर्थिक संकेतकों पर है। हालांकि, बढ़ते अमेरिकी कर्ज को लेकर चिंताओं के बीच बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के कारण एफआईआई की हालिया निकासी से बाजार की धारणा पर असर पड़ सकता है। सतीश मोरे/25मई ---