मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में कई नवाचारों और नीतियों को लागू करके राज्य को कृषि क्षेत्र में विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर किया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने, खेती को लाभकारी बनाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन नीतियों में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, सिंचाई के बेहतर संसाधनों की उपलब्धता और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने के लिए अनेक पहल की गई है । मोहन सरकार ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जैविक और पारम्परिक खेती को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं इस बात पर बल दिया है कि जैविक खेती न केवल एक उत्पादन विधि है, बल्कि यह किसानों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का आधार है। भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश में वर्तमान वर्ष में लगभग 1 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती का कार्यक्रम चल रहा है और आगामी वर्षों में इसे 5 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करने का लक्ष्य रखा गया है। जैविक कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही प्रदेश में मटर, सोयाबीन, तुअर दाल और आलू जैसे फसलों का उत्पादन में राज्य में तेजी आई है और इन उत्पादों का निर्यात भी काफी बढ़ा है जिसने किसानों की आय में वृद्धि के साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।कृषि क्षेत्र में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए मोहन सरकार ने सौर पंप योजना को बेहतर तरीके से लागू किया है। इस योजना के तहत किसानों को मात्र 10% राशि जमा करने पर सौर पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अगले तीन वर्षों में 32 लाख सौर पंप वितरित करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। इसके अतिरिक्त किसानों द्वारा उत्पादित अतिरिक्त बिजली को सरकार खरीदेगी जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। यह योजना न केवल बिजली बिल से मुक्ति दिलाएगी, बल्कि किसानों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगी। मध्यप्रदेश में बीते डेढ़ वर्ष में कृषि मंडियों का आधुनिकीकरण, विपणन और भंडारण की सुविधाओं में भी बड़ा सुधार हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने किसानों के उत्पादों को बेहतर दाम दिलवाने के लिए कृषि मंडियों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में विस्तार किया है जिससे किसानों को अपनी उपज को बाजार में बेहतर मूल्य पर बेचने का अवसर मिल रहा है। नई जरूरतों के मुताबिक अब अलग-अलग मंडियों की स्थापना पर विचार किया जाना चाहिए।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश की कृषि मंडियों को आदर्श बनाने के निर्देश दिए हैं। मंडियों में आधुनिक सुविधाओं को बढ़ाने से लेकर उनके प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। मंडी शुल्क का उपयोग किसानों की कल्याणकारी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है साथ ही फल, सब्ज और मसाला मंडियों की स्थापना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) पर भी विशेष ध्यान दिया गया है जिससे किसानों को उचित लाभ मिल रहा है।इन प्रयासों से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मोहन यादव ने किसान कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं जिनमें कृषि ऋण, बीमा और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी जैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं से किसानों को वित्तीय मदद मिल रही है जिसने उन्हें खेती में उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों का उपयोग करने की सुविधा प्रदान की है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गेहूं उत्पादक किसानों को भी समर्थन मूल्य 2425 रुपये के अतिरिक्त 175 रुपये प्रति क्विंटल की बोनस राशि दी जायेगी जिससे लगभग 1400 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का लाभ होगा। साथ ही गेहूं के उपार्जन पर प्रति क्विंटल 2600 रुपये की राशि मिलेगी। इस वर्ष प्रदेश में 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन अनुमानित है। एमपी की मोहन सरकार ने श्रीअन्न (मिलेट्स) और विशेष फसलों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। सरकार ने घोषणा की है कि वह किसानों से श्रीअन्न की खरीद करेगी, जिससे इन फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त, विशेष फसलों को भौगोलिक संकेतक जीआई टैग प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है, ताकि मध्यप्रदेश की फसलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नई पहचान मिले। राज्य सरकार ने प्रदेश के हर संभाग में किसान मेलों का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इन मेलों में कृषि आधारित उद्योगों में निवेश पर जोर दिया जा रहा है। अप्रैल माह मेंमंदसौर जिले के सीतामऊ में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को कृषि के आधुनिक यंत्रों और तकनीक से अवगत कराया गया। जिसके बाद अब 26 मई को नरसिंहपुर जिले में कृषि उद्योग समागम का आयोजन होने जा रहा है जिसका शुभारम्भ उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के माध्यम से होगा। मध्यप्रदेश में वर्ष 2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। कृषि उद्योग समागम नरसिंहपुर का आयोजन मध्यप्रदेश में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण में निवेश आकर्षित करने, और किसानों को बेहतर बाजार से जोड़ने के लिए किया जा रहा है। यह समागम उद्योगपतियों कृषक उत्पादक संगठनों एवं नीति निर्माताओं के बीच संवाद, नीति प्रस्तुति एवं सहयोग के अवसर प्रदान करेगा। कार्यक्रम में उद्योग इकाइयों का शिलान्यास एवं लोकार्पण तथा उद्योगपतियों को भूमि आवंटन पत्र एवं आशय पत्रों का वितरण भी होगा।इस तरह के इन समागमों के माध्यम से किसानों को अधिक बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। नरसिंहपुर के बाद 8 से 10 जून 2025 तक सतना में विशाल कृषि मेले सह कृषक सम्मेलन भी आयोजित होंगे। मुख्यमंत्री मोहन स्वयं ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में एक किसान सम्मेलन में कहा, हमारा लक्ष्य है कि किसानों की आय दोगुनी हो और वे आत्मनिर्भर बनें। इसके लिए सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी। मोहन सरकार के किसान-हितैषी नवाचार कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, जिससे न केवल किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं ) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 28 मई /2025