नई दिल्ली(ईएमएस)। कोरोना संक्रमण के समय डोलो 650 एक ऐसा नाम बन गया जिसे हर घर में जगह मिल गई। बुखार हो या बदन दर्द, लोग बिना सोचे समझे इसी गोली का सहारा लेने लगे। लेकिन क्या कोरोना जैसे गंभीर संक्रमण में सिर्फ डोलो खाना ही इलाज है? क्या इससे ठीक हो जाना संभव है या फिर इसके पीछे छिपे हैं कुछ जरूरी संकेत हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं? डोलो बुखार को कम तो कर देती है, लेकिन यह वायरस को खत्म नहीं करती। इससे सिर्फ अस्थायी राहत मिलती है, जिससे लोग ये समझ बैठते हैं कि अब ठीक हो रहे हैं, जबकि अंदर ही अंदर संक्रमण बढ़ सकता है। कोरोना एक वायरल इंफेक्शन है और डोलो का काम वायरस को खत्म करना नहीं है। इसके लिए शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करना और डॉक्टर द्वारा दी गई उचित दवाओं का सेवन जरूरी होता है। सिर्फ बुखार नहीं, कोरोना में सांस फूलना, गले में खराश, स्वाद और गंध का जाना, कमजोरी जैसे लक्षण भी गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में डोलो खाना और बाकी लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। कोरोना की पुष्टि होते ही किसी योग्य डॉक्टर से संपर्क करें। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए दवाएं और इलाज भी व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। शरीर को पर्याप्त आराम और पानी देना बेहद जरूरी है। नारियल पानी, काढ़ा, सूप और हल्का भोजन शरीर की रिकवरी में मदद करता है। विटामिन सी, डी, ज़िंक आदि का सेवन डॉक्टर के सलाह अनुसार करें। ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होते हैं। कोरोना को हल्के में लेना एक बड़ी भूल हो सकती है। डोलो सिर्फ एक प्राथमिक राहत देने वाली दवा है, न कि संपूर्ण इलाज। सही समय पर सही इलाज और डॉक्टर की सलाह ही इस बीमारी से उबरने का सही तरीका है। वीरेंद्र/ईएमएस 30 मई 2025