दमोह (ईएमएस)। जिस शहर को तीन साल पहले स्वच्छता सर्वेक्षण में देश में सबसे गंदे शहर होने का दाग मिला था अब उसी शहर में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत शहर के गंदे तालाबों का साफ करने की कवायद हो रही है । वो भी जनसहयोग से । सरकारी पैसा खर्चे किये बगैर । इस पर भरोसा करना आसान नहीं लेकिन यही सच है । इसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है दमोह में बने तीन सौ साल पुराने पेशवाकालीन तालाब दीवा जी की तलैया में । शहर के बीचोंबीच करीब 9 एकड़ में फैले तालाब में पिछले दस साल से कूड़ा और गाद का अंबार लगा है । जिससे लगातार बीमारियां फैल रही थी और कुछ लोग धीरे धीरे तालाब के किनारे किनारे अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बीते बीस दिन से इस तालाब में कलेक्टर दमोह सुधीर कुमार कोचर की पहल पर सफाई का काम शुरु किया । पहले दो हफ्ते शहर के अलग अलग समाज मराठी समाज, असाटी समाज। पर्यावरण दल जैसे लोगो को लेकर जनजागरण के तौर पर हाथ से सफाई की गयी औऱ अब लगातार मशीनों से सफाई हो रही है। अब तक करीब डेढ एक़ड तालाब साफ हो चुका है और करीब दौ सौ ट्रक मलबा निकाला जा चुका है। दरअसल दीवान जी की ये तलैया बाजीराव पेशवा के बुंदेलखंड प्रवास के दौरान सन 1760 के आसपास बनी थी । उस समय इसे जिले के प्रसिदध जागेश्वर नाथ महादेव की प्रतिमा दमोह लाने के लिए तब के दीवान बालाजी चांदोरकर ने बनवाया था । लेकिन जागेश्वर नाथ बांदकपुर से नहीं हटे तो यहां बने मंदिर में भगवान शिव और राम दरबार बना दिया गया । तब ये तालाब शिव के अभिषेक लिए बनाया गया था । ऊंचाई पर बने इस तालाब के कारण करीब दो किलोमीटर तक कुंओँ और बोरिंग में पानी बना रहता है जिसका फायदा पचास हजार लोगों को होता है। लेकिन बीते दस साल से इस तालाब पर कब्जा करने की साजिश हो रही थी। दमोह शहर में पहले 11 तालाब थे जिनमें से अब सात ही बचे हैं ,बाकी पर कब्जा हो गया है। बचे हुए तालाबों को भी बचाने की योजना पर काम चल रहा है । कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर के अनुसार उन्होनें दीवान जी की तलैया बचाने का संकल्प लिया है । उनका कहना है कि संसाधनों के अभाव के कारण सरकारी प्रयास और जन सहयोग से इस तालाब को फिर से साफ किया जा रहा है । जनसहयोग लेने की एक वजह लोगों में जागरुकता लाना भी है। हालांकि तालाब की सफाई को लेकर शहर में राजनीति भी गरमा रही है क्योंकि पहले कई सांसद और मंत्री इसकी सफाई का दावा कर चुके है लेकिन कुछ नहीं हुआ दूसरी तरफ शहर के जमीन माफिया इस जमीन को कब्जाना चाहते हैं इसलिए अडंगे डाल रहे हैं। इन सबके वावजूद काम बदस्तूर जारी है और लगता है कि तालाब साफ होकर ही रहेगा । वैसे तालाब के बारे में एक किवदंती ये भी है कि इसमें एक वाबड़ी बनी है जिसमें मराठा काल से कुछ खजाना छिपा हुआ है लेकिन ये जनश्रुति ही है किसी ने इसकी पुष्टि नही की है। मगर कुछ लोग कहते है कि अगर तालाब साफ हुआ तो ये बात भी साफ हो जायेगी । .../ 2 जून /2025