इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद पर पूर्व और वर्तमान दोनों जिला शिक्षा अधिकारियों का विवादित रिकॉर्ड देखने के बाद दोनों में से किसी को भी जिला शिक्षा अधिकारी बनाने पर रोक लगा याचिका का पटाक्षेप करते सरकार को निर्देश दिए हैं कि किसी अन्य ऐसे सक्षम व्यक्ति को इंदौर का जिला शिक्षा अधिकारी बनाएं, जिसका विवादित रिकॉर्ड न हो। बता दें कि पहले जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सुषमा वैश्य के पास था, लेकिन कलेक्टर इन्दौर आशीष सिंह ने सभी अधिकारियों को जनसुनवाई में निश्चित रूप से उपस्थित होने के अपने स्पष्ट आदेश के बाद भी सुषमा वैश्य के जनसुनवाई में उपस्थित नहीं रहने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार उनसे जूनियर प्राचार्य पूजा सक्सेना को दिया गया था जिस पर वैश्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि जिन पूजा सक्सेना को उक्त जिम्मेदारी दी गई, उन पर गड़बड़ी के भी आरोप है तथा वो उनसे जूनियर भी है। वैश्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार के साथ पूजा सक्सेना से भी जवाब मांगा था। जिस पर शासन की और से कोर्ट में पेश किए जवाब में बताया गया कि वैश्य पर स्कूल से गायब रहने के आरोप लगे थे और उनकी दो वेतनवृद्धियां रोकी गई थी। जवाब में वैश्य की ओर से अपने उपर लगे आरोप खारिज करने का बता एक वेतनवृद्धि पर लगी रोक स्वीकारते पूजा सक्सेना के खिलाफ 2017 में जारी आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया गया, जिसमें उनके खिलाफ 18 आरोप लगे थे। इनमे वित्तीय अनियमितताओं के मामले भी थे। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने दोनों को ही जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार देने को गलत माना। कोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा कि दोनों का ही रिकॉर्ड खराब है। ऐसे में वे जिला शिक्षा अधिकारी पद के योग्य नहीं हैं। ऐसी परिस्थितियों में पूर्व प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी और जिन्हें जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दिया गया है, दोनों के पक्ष में जारी आदेश निरस्त किए जाते हैं। राज्य सरकार को आदेश दिया जाता है कि वे किसी बेदाग छवि के व्यक्ति की नियुक्ति इस पद पर करे। आनन्द पुरोहित/ 02 जून 2025