कहा-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं कोलकाता,(ईएमएस)। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को पुणे की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अगली सुनवाई में केस डायरी जमा करने का निर्देश भी दिया। जस्टिस पार्थसारथी चटर्जी की बेंच ने कहा कि हमारे देश में कई धर्मों के लोग रहते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि आप दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाएं। शर्मिष्ठा को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने 14 मई को इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी की आलोचना करते हुए इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद व्यापक विरोध हुआ। उन्होंने वीडियो हटाकर 15 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बिना शर्त माफी मांगी थी। कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने दावा किया कि शर्मिष्ठा और उनके परिवार को नोटिस देने की कोशिश नाकाम रही, जिसके बाद कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। 31 मई को अलीपुर कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था। सुनवाई के दौरान शर्मिष्ठा के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस ने उनका मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया है, इसलिए हिरासत की जरूरत नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि शर्मिष्ठा ने माफी मांग ली थी और उनकी टिप्पणी का इरादा देशभक्ति दिखाना था, लेकिन कोर्ट ने कहा कि उनके बयान ने समाज के एक वर्ग की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और धार्मिक अशांति पैदा की। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि जेल में शर्मिष्ठा को सभी जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी लेकिन उन्हें जेल यूनिफॉर्म पहननी होगी। सिराज/ईएमएस 03जून25