-हज मुसलमानों का एक आध्यात्मिक और अनिवार्य धार्मिक कर्तव्य रियाद,(ईएमएस)। सऊदी अरब में हज शुरू हो गया है। इसके लिए लाखों हज यात्री मक्का पहुंच चुके हैं, जबकि अभी लाखों लोग आना बाकी है। यह यात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने जिल-हिज्जा की 8वीं से 12वीं तारीख के बीच होती है। हज मुसलमानों का एक आध्यात्मिक और अनिवार्य धार्मिक कर्तव्य है। हर वह मुस्लिम जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रुप से सक्षम और स्वस्थ है, उसके लिए अपने जीवन में कम से कम एक बार हज करना जरुरी है। हज इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभों में से एक है। हर साल दुनिया भर से करीब 25 लाख मुस्लिम पवित्र हज करने मक्का आते हैं। इस साल भारत से करीब 1.75 लाख हज यात्री मक्का पहुंचे हैं। हज के दौरान मुस्लिम काबा (बैतुल्लाह शरीफ) की परिक्रमा करते हैं और अल्लाह की इबादत में अपना पूरा समय बिताते हैं। हज मुस्लिमों के लिए पापों से मुक्ति, आध्यात्मिक शुद्धि और अल्लाह के करीब होने का मौका है। हज की शुरुआत पैगंबर इब्राहिम अलिससलाम के समय से मानी जाती है। इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने अल्लाह के हुक्ल यानी आदेश पर काबा यानी मक्का का निर्माण किया था। 628 ईस्वी में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने पहली इस्लामी हज यात्रा की थी। 632 ईस्वी में उन्होंने हज के आधुनिक स्वरूप को स्थापित किया, जो आज भी मुस्लिम मानते हैं। सऊदी अरब के हज मंत्रालय और कई देशों की सरकारों ने भीड़ को देखते हुए नियम बनाया है कि एक इंसान पांच साल में सिर्फ एक बार ही हज कर सकता है। सऊदी अरब में रहने वाले लोगों पर 5 साल का नियम उतनी सख्ती से लागू नहीं होता है, लेकिन उन्हें भी हज के लिए आधिकारिक परमिशन लेनी होती है। हज एक पवित्र यात्रा है जिसे हर मुसलमान करने की ख्वाहिश रखता है। सिराज/ईएमएस 04जून25 -------------------------------