राज्य
05-Jun-2025
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गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में बकरे बेचने आए हैं व्यापारी ठाणे, (ईएमएस)। मुस्लिम समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार बकरीद नजदीक आ रहा है। बकरीद के मौके पर कुर्बानी के लिए खास बकरे की जरूरत होती है। बकरीद यानी ईद-उल-अजहा को मुस्लिम समाज कुर्बानी के त्यौहार के तौर पर बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं। ठाणे जिले के सबसे बड़े बकरा बाजार में उम्मीद के मुताबिक बकरों की खरीद-फरोख्त नहीं हो पाई है। बकरीद के मौके पर कुर्बानी के लिए बकरे खरीदने वाले ग्राहकों का कहना है कि, महंगाई के कारण बाजार में मंदी है। इसलिए इस साल बाजार में नरमी है। ठाणे जिले का सबसे बड़ा बकरा बाजार भिवंडी तालुका के कोनगांव तरीपाडा इलाके में लगता है। पिछले कई सालों से यहां हर महीने में हफ्ते में तीन दिन बकरा बाजार लगता है। हर साल बकरीद के मौके पर यह बाजार एक महीने तक चलता है। यह बाजार ठाणे जिले में मशहूर है। मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को लगने वाले इस बाजार में इस साल बकरीद के मौके पर गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में व्यापारी बकरे बेचने आए हैं। हालांकि एक व्यापारी ने बीते 20 दिनों में बहुत कम बकरे बिकने का अफसोस भी जताया। - 25 हजार से 90 हजार तक बिक्री बकरीद पर कुर्बानी के लिए सफेद बकरों की ज्यादा मांग रहती है। ये बकरे 25 हजार से 90 हजार तक बिकते हैं। ज्यादा कीमत होने के बावजूद मुस्लिम समाज इन बकरों को खरीदते नजर आ रहे हैं। खासकर कोनगांव बकरा बाजार में दूसरे राज्यों से आए बकरे खुले में रखे जाने के कारण बारिश के कारण दूसरे राज्यों से आए बकरे बीमार भी पड़ रहे हैं। तीन दिनों तक लगने वाले इस बकरा बाजार में कई खरीदार, मटन विक्रेता और कसाई अगले दिन की मटन बिक्री के लिए बकरे खरीदने आते हैं। शादियों के इस मौसम में हल्दी समारोह की शुरुआत में मटन परोसा जाता है। इस वजह से इन दिनों भी बकरों की कीमतें 10,000 से 30,000 रुपये के बीच होती हैं। हालांकि, बकरा व्यापारी इस साल बकरीद के त्योहार पर बारिश के खतरे के कारण चिंता व्यक्त कर रहे हैं। ज्ञात हो कि दूसरे राज्यों के व्यापारी ट्रकों और टेंपो में हजारों किलोमीटर का सफर करके इन बकरों को बाजार में लेकर आए हैं। वहीं एक व्यापारी का कहना है कि अभी तक यात्रा का किराया भी वसूल नहीं हो पाया है। स्वेता/संतोष झा- ०५ जून/२०२५/ईएमएस