क्षेत्रीय
06-Jun-2025
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ग्वालियर (ईएमएस)। ऐसे समय में जब किसान अपनी फसल के लाभप्रद मूल्य के लिए सरकार को चुनौती दे रहा है ,और दूसरी और संगठित मजदूर वर्ग और कर्मचारी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सरकारी दमन का बहादुरी से मुकाबला कर रहा है । वक्त की मांग है कि आज मजदूर कर्मचारी, नौजवानों विद्यार्थियों एवं किसानों की सक्रिय एकजुटता बड़े । निश्चय ही इस महान काम को पूरा करने में अमर शहीद कॉमरेड गोटू सहाय जैसे किसान योध्दा की याद से प्रेरणा मिलती है। अमर शहीद कॉमरेड गोटू सहाय जीवन भर किसानों के अधिकारों के लिए तथा अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष करते रहे। वह केवल किसान नेता ही नहीं बल्कि आम मेहनत जनता के नेता भी थे। उन्होंने अनेक ट्रेड यूनियन संघर्ष मे अगुवाई के साथ हिस्सा लिया । सन 1946 में जे सी मिल ग्वालियर के मजदूरों का वह ऐतिहासिक आंदोलन जिसमें चार मजदूर शहीद हुए थे , मैं किसानो की शानदार एकजुटता का श्रेय शहीद कॉम गोटू सहाय को ही था , वे उस आंदोलन की अगली कतार में थे। जिले का मजदूर तथा किसान उन्हें अपने समय के कामयाब, संघर्षों के नेता के रूप में आज भी याद करता है । कॉम गोटू सहाय जीवन भर वड़ी लगन और मेहनत के साथ समाजवादी लक्ष्य की लड़ाई में सामूहिक रूप से संघर्षशील रहे सामंतवादियों के जुल्म ज्यादतियो के खिलाफ जन संघर्ष चलाते रहे । इसी कारण सामंती तत्वों ने उनकी जान ले ली । ग्वालियर राज्य में कामरेड गोटू सहाय का जन्म 1917 में गुठीना गांव में हुआ था जो ग्वालियर के उत्तर की ओर 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित है । उनके पिता का नाम सामले प्रसाद शर्मा और मां का नाम सरजू बाई था , तीन भाइयों में मझले भाई थे । आठ साल की उम्र में उनका स्कूल में दाखिला दिलाया गया परंतु जब वह चौथी कक्षा में थे तो उनके पिता का देहांत हो गया इस कारण उनकी पढ़ाई मजबूरन आगे ना बढ़ सकी। पिता की मृत्यु के बाद उनके घर में पड़े एक डाँके में उनके परिवार की सारी पूंजी लूट ली गई । कॉम गोटू सहाय को बचपन से ही खेत, खलियान, घरगृहस्ती के कार्यों में लगना पड़ा । इसके साथ ही कॉम गोटू सहाय गरीब किसानों और खेत मजदूरो पर जागीरदारों के जुल्म ज्यातियों का विरोध करते रहे, कम उम्र से ही वह अन्याय और जुल्म ज्यादतियों के खिलाफ संघर्ष शील बन गए थे। 15 वर्ष की उम्र में कॉम गोटू सहाय की शादी हो गई थी। जब वे 22 साल के हुए तो लश्कर नगर में आटै की चक्की पर काम करने लगे। एक साल तक वहां काम करने के बाद वह( कपड़े के टुकड़े) चिल्हीयो का गट्टर बांधकर साइकल से ग्वालियर, लश्कर, गोहद गांव में फेरी लगाकर बेचते थे। कामरेड गोटू सहाय को बचपन से लेकर जवानी तक दुखों परेशानियों से भरी एक लंबी दास्तां है मगर इन पारिवारिक परेशानियों का सामना करते हुए भी उन्होंने गरीबों के दुखों को भी बहुत करीब से देखा और उनके हको के लिए संघर्ष किया। उनकोे अंग्रेज शासको से देश को आजाद कराने की भारी लगन थी आजादी के आंदोलन में भी उन्होंने , बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया, और सजाये काटी। सन 1939 में ग्वालियर के मजदूरों ने ग्वालियर मजदूर सभा की स्थापना की तो कामरेड गोटू सहाय ने उस सभा में भाग लिया । इस तरह संघर्षशील मजदूरों से उनका मेल मिलाप हुआ ,और तभी से उनके जीवन में सर्वहारा वर्ग के प्रति राजनीतिक चेतना निरंतर बढ़ती गई । ग्वालियर राज्य में सिंधिया शाही और उनके चट्टे बट्टे जमीदार ,जागीरदारों, नौकरशाही तथा उनके पालतू एजेंटो के अन्याओ के खिलाफ लड़ने के लिए कॉम गोटू सहाय ने 1941 में किसानों का सम्मेलन किया और किसान सभा की स्थापना की । ग्वालियर में कम्युनिस्टों के सहयोग से कॉम गोटू सहाय, ने मार्क्सवादी, लेनिनवादी साहित्य का अध्ययन करने के बाद 1945 में वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए । आगे चलकर वह मध्य भारत किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी चुने गए। ग्वालियर ,भिंड, मुरैना के विभिन्न ग्रामों के गरीब किसानों के उपर सामंत शाही जुल्म ज्यातियों के खिलाफ कॉम गोटू सहाय की रहनुमाई में अनेक ऐतिहासिक संघर्ष हुए जिसमें किसानों को उनके हक मिलना शुरू हो गए। किसानो की बड़ती एकता को देखकर सामंत शाही बौखला उठी । जिससे कांग्रेस पार्टी का सामंती ग्रुप , जागीरदार किसान सभा के नेता कॉम गोटू सहाय को अपना दुश्मन समझने लगे । पूर्व में एक कातिलाना हमले में गोटू सहाय बच गए थे। मगर 25 फरवरी 1955 को ग्वालियर में मध्य भारत किसान सभा के होने वाले अधिवेशन के प्रचार हेतु कॉम गोटू सहाय साइकिल पर सवार होकर ग्राम मऊ, विक्रमपुर, अकबरपुर आदि गांव में पर्चे बाटकर दिन के 12:00 बजे अपने गांव गुठीना पहुँचे, कुछ देर रुकने के बाद ग्राम बरेठा में एक शादी में शामिल होने के लिए रवाना हो गए और वह गांव के पास बने तालाब के पास पहुंचे ही थे, कि उनके दुश्मनों के 8 गुर्गो ने उन्हें घेर लिया ओर लाठी, कुल्हाड़ीयों और फरसों से हमला कर निर्मम हत्या कर दी। अमर शहीद कामरेड गोटू सहाय के इस निर्मम हत्याकांड के खिलाफ 26 फरवरी 1955 को ग्वालियर लश्कर की जनता तथा मजदूरों ने हड़ताल की , उसी दिन शहीद गोटू सहाय के पार्थिव शरीर का जुलूस लश्कर नगर के जे ए हॉस्पिटल से 15 किलोमीटर की दूरी का सफर तय कर उनके ग्राम गुठिना पहुंचा जहां लाखों की तादाद में जमा मजदूर ,किसान, आम नागरिकों के आंसुओं से नम आंखों से अपने प्रिय नेता के शव को जलते देखा । शहीद कॉमरेड गोटू सहाय अमर रहे ,अमर रहे के गगन भेदी नारे के साथ अपने प्रिय नेता को अंतिम विदा किया। कॉम गोटू सहाय की शहादत के बाद परिवार की सुरक्षा एवं देखभाल की जिम्मेदारी के साथ उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उनके छोटे भाई स्व कॉम बलदेव प्रसाद शर्मा के ऊपर थी । जिनकी शिक्षा भी पांचवी कक्षा तक थी उन्होंने, जिम्मेवारी का वहन करते हुए किसानों के बीच उनकी समस्याओं के समाधान एवं पार्टी के विस्तार के लिए लगातार कार्य किया । ग्राम गुठीना को लाल झंडे के ग्राम के नाम पर पहचान दिलाई। किसानों को कर्ज ट्रैक्टर ,बैलगाड़ी ,बेल, खाद के लिए उनकी समस्याओं के समाधान एवं रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार से बचाने के लिए ग्वालियर जिला सहकारी भूमि विकास बैंक का गठन कर कई बार अध्यक्ष और महासचिव पद पर निर्वाचित हुए और संचालक मंडल वर्षों तक कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों का रहा। कॉम बलदेव प्रसाद शर्मा ग्राम पंचायत गुठीना के 35 साल तक लगातार बिना किसी अवरोध के सरपंच के चुनाव पर निर्वाचित हुए , साथ ही जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य ,मंडी कमेटी ग्वालियर के अध्यक्ष एवं सहकारिता क्षेत्र में निर्वाचित होकर किसानो की आवाज को बुलंद कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए अंतिम समय तक सक्रिय रहे।