आप एक सेतु बन सकते हैं, जीवन-मुस्कान का, जिन्दगी बचाने वाला एवं सेवा करने वाला पुल। हम एक साथ मिलकर जीवन को बचा सकते हैं, जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकते हैं, अंधेरों के बीच रोशनी बन सकते हैं। इसी सोच के साथ ‘अक्षय सेवा’ के संयोजक डॉ. रामअवतार किला पिछले दो दशकों से जरूरतमंद मरीजों को परामर्श, दवा एवं ईलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने में सतत रूप से कार्यरत हैं। उनके नेतृत्व में चलाए जा रहे ‘हॉस्पिटल फूड ड्राइव’ के अंतर्गत अप्रैल 2017 से दिल्ली के प्रमुख सरकारी अस्पतालों एम्स, सफदरजंग, राममनोहर लोहिया एवं 2023 से लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के बाहर प्रतिदिन लगभग 2500 लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। डॉ. किला के नेतृत्व में गत आठ वर्षों में अब तक 70 लाख से अधिक लोगों को इस पहल के अंतर्गत भोजन वितरित किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, एम्स पावरग्रिड विश्राम सदन सहित देश के छह अन्य शहरों पटना, लखनऊ, झज्जर आदि में रोगियों एवं उनके परिजनों के लिए 2000 से अधिक बिस्तरों की विश्राम सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। ऋषिकेश में निर्माणाधीन ‘माधव सेवा विश्राम सदन’, जिसमें 500 बिस्तरों की व्यवस्था होगी, जो जल्द ही जनसेवा के लिए समर्पित किया जाएगा। इस तरह डॉ. किला जिन्दगियों को बचाने वाले खूबसूरत पुलों का निर्माण करते हैं। उनकी जिन्दगी की हर पात में सेवा एवं परोपकार की झंकार सुनी जा सकती है। समय की शिला पर मान, यश, सृजन-सेवा, निष्ठा-आस्था से भरी अनूठी कहानी हैं डॉ. रामअवतार किला की। प्रख्यात समाजसेवी,, गौसेवक, कर्मयोद्धा एवं जुझारू व्यक्तित्व के धनी डॉ. किला एक प्रसिद्ध चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी एवं कॉर्पोरेट सलाहकार हैं, जिन्होंने अपने कैरियर में वित्तीय परामर्श और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है। मूल रूप से राजस्थान के चुरू जिले से ताल्लुक रखने वाले डॉ. किला वर्ष 1977 में उच्च अध्ययन एवं कैरियर निर्माण के उद्देश्य से दिल्ली आए। उन्होंने वर्ष 1982 में कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) तथा 1983 में चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए) की डिग्रियां प्राप्त की। वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में अपनी अद्वितीय व्यावसायिक दक्षता, ईमानदारी एवं दूरदर्शिता के बल पर डॉ. किला ने ‘परफेक्ट ग्रुप’ के माध्यम से कॉर्पोरेट परामर्श में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वह वर्तमान में परफेक्ट ग्रुप के चेयरमैन हैं। इसके अतिरिक्त वे कई सामाजिक एवं धार्मिक संगठनों के साथ सक्रिय भूमिका में जुड़े हुए हैं। वे समाज एवं परिवार के लिए एक प्रेरणा हैं, साहस के प्रतीक हैं, एक प्रकाश हैं और संवेदनाओं के पुंज सेवार्थी एवं परोपकारी व्यक्तित्व हैं। वक्त के अलग-अलग अवसरों पर इस दिव्य व्यक्तित्व की कहानी को सब कोई घटते हुए देख रहे हैं, एक इतिहास बनते हुए देख रहे हैं, एक सृजनात्मक जीवनगाथा को गुंथते हुए देख रहे हैं। डॉ. किला एक अनूठा एवं विलक्षण व्यक्तित्व है, जो उन्हें ठीक लगता है, वही करते हैं। वे बेचैन रहते हैं किसी के अभाव को देखकर। वे खिल उठते हैं किसी की मुस्कान को देखकर। जैसे सूर्य की किरणें निर्ब्याज भाव से सभी को आलोकित करती है, ऊष्मा पहुंचाती है और चांद की किरणें सभी जगह फैलती है तथा सभी को अपने धवल-शीतल आगोश में सहलाती और तापमुक्त करती है, कुछ ऐसा ही व्यक्तित्व है डॉ. किला का। उनके ज्ञान, सेवा और स्नेह की निर्ब्याज और सतत प्रवाहित स्रोतस्विनी में जिसे भी एक बार अवगाहन करने का सुयोग मिला, वह इस अनुभूति से कृतार्थता का अनुभव किए बिना नहीं रह सका। उनके सान्निध्य से आदमी अचानक तापमुक्त और ऊंचा अनुभव करने लगता हैं। डॉ. किला को देखकर ही मैंने जाना कि आदमी इतना बड़ा होकर भी इतना निरहंकारी, सादगीमय एवं सरल होता है। उन्होंने अपने कर्म क्षेत्र में अनेक नये आयाम गढ़े और वित्त के क्षेत्र को भी अनेक रचनात्मक दिशाएं दी हैं। गरीब एवं निर्धन वर्ग की सेवा में समर्पित डॉ. किला जैसे व्यक्तित्व विरल होते हैं, जिनकी सारस्वत साधना की सुरभि चतुर्दिक व्याप्त है तथा जिनकी यशोपताका सर्वत्र फैली हुई है, तथापि जो अपने व्यक्तित्व को सर्वथा सहज, अकृत्रिम एवं निष्कलुष बनाकर रखे हुए है। मधुरभाषी, व्यवहारकुशल, कुशल प्रशासक, जीवनदृष्टि को समझने में सजग एवं पटु डॉ. किला का जीवन समाजसेवा एवं संवेदनाओं से सराबोर है। ‘कभी नहीं हारेगी जिन्दगी’ के संकल्प के साथ जरूरतमंदों एवं अभावग्रस्त लोगों की जिन्दगी में रोशनी बनने वाले डॉ. किला ‘भाऊराव देवरस सेवा न्यास’ के संस्थापक ट्रस्टी एवं कोषाध्यक्ष है। डॉ. किला की प्रकृत-ऊर्जा विलक्षण हैं। वे कितने सारे सामाजिक, धार्मिक अनुष्ठानों, जिम्मेदारियों और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े हैं कि सेवा एवं परोपकार की कितनी शाखाओं और कितनी धाराओं से उनका परिचय रहा, यह देखकर आश्यचर्यचकित रह जाना पड़ता है। उनकी ज्ञान-पिपासा, कर्मठता और निरालस्य सजगता युवकों को चुनौती देने वाले गुण हैं। वे एक समर्थ सामाजिक कार्यकर्ता, चिंतक, मर्मज्ञ और संस्कृतिपुरुष के रूप में एक प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। डॉ. किला शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। वे ‘अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच दक्षिणी दिल्ली’ के संस्थापक अध्यक्ष हैं। मंच के तत्वाधान में राजस्थान से आने वाले छात्रों के लिये सुपर 30 कार्यक्रम के रूप में संचालित छात्रावास का संचालन करने के साथ ही सीए किला पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से सैकड़ों चार्टर्ड अकाउंटेंट और एमबीए छात्रों का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं। निम्न वर्ग के विद्यार्थियों हेतु निःशुल्क भोजन, आवास एवं शिक्षा की सुविधा भी प्रदान की जाती है व राष्ट्रीय स्तर पर रक्तदान, कैलिपर कैम्प, क्लेफ्ट लिफ्ट, अंगदान और पोलियो उन्मूलन शिविर आदि जैसे विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। वे बड़े से बड़ा कार्य करते हैं लेकिन किसी सामान्य या छोटा-सा काम करने में जरा सा संकोच नहीं करते। अपने उच्च-स्थान का लाभ उठाने का लोभ उन्हें छू भी नहीं पाया। वे जो कुछ हैं, अपनी प्रतिभा, जिजीविषा, संकल्प, भक्ति और संघर्षजन्य शक्ति के बल पर हैं। उन्हें जीवन में अनेक बार कटु अनुभव भी हुए थे, किन्तु उनके व्यक्तित्व में उनका कोई दंश शेष नहीं, अपितु उनके जीवन में सतत-सात्विक मधुरता ही बढ़ती ही जा रही है। डॉ. किला को कभी भी परेशानियों ने विचलित नहीं किया। वे कहते हैं, मुझे लगता है, मुझे ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हैं, जो कुछ करना चाहता हूं, वह कर रहा हूं। उनका जीवन साधन-सम्पन्न लोगों एवं जरूरतमंदों के बीच एक सेतु हैं, एक पुल है। आशा का पुल, सेवा का पुल, शांति का पुल, जिन्दगी की मुस्कान का पुल। सचमुच वे प्रेरणास्पद हैं और उनमें बड़े मानुष का बड़प्पन झलकता हैं। वे परिवार और समाज के साथ-साथ गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए स्नेह के छांव देने वाले बरगद ही हैं। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित डॉ. किला एक उच्च मूल्य मानकों को जीने वाले व्यक्तित्व हैं। उनके व्यक्तित्व में एक संपूर्ण मनुष्य के सारे गुण समाहित हैं। उनकी सहज आत्मीयता, खुलापन एवं मुक्त अट्टहास अनोखा हैं। उनके मुख पर सदैव मंद-मंद स्मिति ही विलसती हुई देखी जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो उनका समग्र जीवन वित्त-विशेषज्ञता को समर्पित होकर भी सेवा के विविध आयामों से जुड़ा है। वे सामाजिकता की एक अनूठी मिसाल है। यही कारण है कि डॉ. रामअवतार किला को हाल ही में राजस्थान फाउंडेशन द्वारा दिल्ली चैप्टर का अध्यक्ष मनोनित किया है। इस संस्था के साथ साथ वह अन्य संस्थाओं में भी अपनी भूमिका निभा रहे है जिनमें मुख्य रूप से ट्रस्टी राजस्थान मित्र मंडल, श्री मथुरा वृंदावन हासानन्द गोचर भूमि ट्रस्ट, सदस्य अखिल भारतीय प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, पूर्व अध्यक्ष अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन दक्षिणी दिल्ली, पूर्व अध्यक्ष रोटरी क्लब ऑफ दिल्ली वसंत वैली, संस्थापक परफेक्ट फाउंडेशन एवं परफेक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा सक्रिय सदस्य लॉयन्स क्लब, माहेश्वरी क्लब, दिल्ली पैनोरमा क्लब, राजस्थान रत्नाकर, रामकृष्ण सेवा संस्थान आदि। वे राजस्थान के होकर दिल्ली में राजस्थानी संस्कृति को जीवंतता देने में जुटे हैं। विचारों, सामाजिक चेतना, धर्मनिष्ठा में गहरे रमे हुए डॉ. किला के जीवन और परिवार में अद्भुत सादगी और सात्विकता की व्याप्ति दिखायी पड़ती है। उनके बच्चे धार्मिक संस्कारों में शिक्षित-दीक्षित होकर आज अव्वल मुकामों पर अपने होने का अहसास करा रहे हैं। तमाम आधुनिक परिवेश के बावजूद डॉ. किला के संस्कारों के कारण उनमें सौम्यता और शालीनता दिखायी पड़ती है। लगता है डॉ. किला के व्यक्तित्व की सादगी, धर्मनिष्ठा, सामाजिकता एवं आध्यात्मिकता पूरे पारिवारिक परिवेश में व्याप्त है। सीए डॉ. किला एक ऐसे समर्पित व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने न केवल अपने पेशेवर जीवन में अपूर्व ऊंचाइयां प्राप्त की हैं, अपितु सामाजिक सेवा को भी अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। उनका जीवन वास्तव में आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। डॉ. किला के पास काम करने की अथक शक्ति है और काम किन दिशाओं में होना चाहिए इसका भी ज्ञान उन्हें हैं। प्रकृति ने ही डॉ. किला को मेधा, चिंतन क्षमता, वाकपटुता, कौशल का जो अवदान दिया वह बहुत कम लोगों को प्राप्त होता है। ऐसे कर्मठ कार्यकर्ता कम ही मिलते हैं, जिनमें चिंतन-मनन, कार्यकौशल, अध्ययन, तथ्यपरकता और सरसता का ऐसा मणिकांचन योग हो। वे समाज-निर्माता हैं, गहन परोपकारी हैं और संस्कृतिपुरुष भी हैं। (खक, पत्रकार, स्तंभकार) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 08 जून /2025