लेख
09-Jun-2025
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विश्व नेत्रदान दिवस 10 जून 2025 पर विशेष - नेत्रदान महादान ) वैश्विक स्तरपर पृथ्वी पर विचलित 84 लाख योनियों की काया में यूं तो सभी अंग महत्वपूर्ण है,परंतु हर जीव की आंखें एक ऐसा कुदरत का दिया हुआ अनमोल गिफ्ट है, जिससे पूरी खूबसूरत दुनियाँ को सभी जीव देख सकते हैं, खास करके विशेष अद्भुत बुद्धिजीवी मानव योनि के लिए आंखें तो मानो एक खूबसूरत अद्भुत अंग है जिसके द्वारा वह जीते जी तो अपने परिवार साथियों सहित पूरी दुनियाँ को तो देख सकता है परंतु वह चाहे तो मृत्यु के बाद भी अपनी इन दोनों खूबसूरत आंखों से पूरी दुनियाँ को देख सकता है,बस फर्क केवल इतना है, अपना शरीर त्यागने के बाद वह दूसरे के शरीर से खूबसूरत दुनियाँ को देख सकता है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 10 जून 2025 को विश्व नेत्रदान दिवस है, इसलिए हमें समझना होगा कि,आँखों और दृष्टि का हमारें जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। यदि व्यक्ति के जीवन में दृष्टि न हो तो उसके जीने का कोई मतलब ही नहीं होता और उसे प्रत्येक कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे तो सभी आंखों के महत्व को समझते हैं और इसीलिए इसकी सुरक्षा भी सभी बड़े पैमाने पर करते हैं। हममें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों के बारे में भी सोचते हैं।आंखें ना सिर्फ हमें रोशनी दे सकती हैं बल्कि हमारे मरने के बाद वह किसी और की जिंदगी में उजाला भी भर सकती हैं। लेकिन कुछ लोग अंधविश्वास के कारण, ऑय डोनेशन नहीं करते। उनका मानना हैं कि अगले जन्म में वे नेत्रहीन ना पैदा हो जाएं?। इस अंधविश्वास की वजह से दुनियां के कई नेत्रहीन लोगों को जिंदगी भर अंधेरे में ही रहना पड़ता है। सभी लोगोंको इस बात को समझना होगा और नेत्रदान अवश्य करना चाहिए।हमारा एक सही फैसला लोगों के जिंदगी में उजाला ला सकता हैं।चूँकि नेत्रदान महादान है व नेत्रदान मर के भी जिंदा रहने का अनमोल वरदान है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, आओ अपनी आंखें दान करने का संकल्प लेकर अपनी जिंदगी के बाद दूसरों की दुनियाँ रोशन करें, आत्मा की खिड़की रूपी आंखों को मृत्यु के बाद भी जीवित रखें। साथियों बात अगर हम भारत में दृष्टिहीन या नेत्रहीन बांधवों का कॉर्नय प्रत्यर्पण कर 1 वर्ष में ही भारत को अंधत्व मुक्त भारत बनाने में सहयोग की करें तो, एक आंकड़े के अनुसार भारत में लगभग 1.25 करोड़ लोग दृष्टिहीन हैं, जिसमें करीब 30 लाख व्यक्ति नेत्र प्रत्यारोपण के माध्यम से नवदृष्टि प्राप्त कर सकते हैं, आकलन बताता है कि एक वर्ष में देश में जितने लोगों की मृत्‍यु होती है, अगर सभी के नेत्रों का दान हो जाए तो देश के सभी नेत्रहीन लोगों को एक ही साल में आंखें मिल जाएंगी, मगर लोग नेत्रदान करते नहीं हैं और कार्निया प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची लंबी होती जाती हैं,कोरोना काल में तो नेत्रदान की संख्‍या और कम हो गई थी,खतरा केवल यही नहीं है, अपनी लापरवाही के कारण दुनियाँ धीरे-धीरे अंधत्‍व की तरफ बढ़ रहीहै,विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद कॉर्निया की बीमारियां (आंखों की अगली परत कार्नियाका क्षतिग्रस्‍त होना) आंखों की रोशनी जाने की प्रमुख वजहें हैं,अंधत्व की समस्या से गुजर रहे 92.9 पेर्सेंट लोगों को अंधा होने से बचाया जा सकता है,इसे प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस यानी रोका जा सकने वाला अंधत्‍व भी कहा जाता है,लेकिन मानवीय आदतों,जरूरत होनेपर भी आंखों का चश्मा नहीं लगाना, मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं करवाना और ग्लूकोमा की समय-समय पर जांच नहीं करवाने, कंप्‍यूटर और मोबाइल पर ज्‍यादा काम करने से अधिकांश लोगों की आंखों को नुकसान पहुंच रहा है, बदलती लाइफस्टाइल,अनियमितदिनचर्या प्रदूषण और बहुत ज्यादा स्ट्रेस होने की वजह से ज्यादातर लोग आंख से जुड़ी समस्याओं का शिकार होने लगे हैं,ऑन लाइन क्लासेस और कंप्यूटर का इस्तेमाल बढ़ने से बच्चों और युवाओं की आंखों में सूखेपन की समस्या बढ़ी है।आज देश के कई नेत्रहीनों को हमारी आंखें नई रोशनी दे सकती हैं,मगर इसके लिए सबसे पहले हमें जीवित रहते हुए अपनी आंखों और उनकी रोशनी का ध्‍यान रखना और मृत्‍यु उपरांत नेत्रदान करना जरूरी है, जिस तरह से हमारी दिनचर्या बिगड़ रही हैं, हमें अपनी आंखों की देखभाल करने के लिए कुछ कार्य जरूर करना चाहिए जैसे, अच्छी दृष्टि के लिए संतुलित आहार का सेवन करें, अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों, अंडे, फलियों एवं गाजर को अधिक से अधिक मात्रा में शामिल करें, आंखों की सुरक्षा के जतन करें, आंखों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपनी आंखों की नियमित जांच कराएं,यदि हम कंप्यूटर और मोबाइल पर लंबे समय तक काम करते हैं तो आंखों का सूखापन बढ़ सकता है। साथियों बात अगर हम नेत्रदान की प्रक्रिया व पात्रता को समझने की करें तो,भारत में नेत्रदान की प्रक्रिया कैसे काम करती है?भारत में नेत्रदान की प्रक्रिया सरल है। (1) नेत्रदान की ओर पहला कदम किसी पंजीकृत नेत्र बैंक में नेत्रदान प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर करना है। (2) नेत्र बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए फॉर्म में अपनी सभी जानकारी भरें। (3) इसके बाद,और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने प्रियजनों को अपने निर्णय के बारे मेंसूचित करें ताकि वे जान सकें कि हमारी मृत्यु के बाद किसे फोन करना है (क्योंकि आंख निकालने की प्रक्रिया मृत्यु के लगभग तुरंत बाद होनी चाहिए)। (4) स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपनी आंखों की देखभाल करें ताकि दान के समय वे अच्छी स्थिति में हों। (5) यदि हमने नेत्रदान करने का संकल्प लिया है, तो सुनिश्चित करें कि हमारे प्रियजन मृत्यु के 6 घंटे के भीतर नेत्र बैंक को दान के लिए संपर्ककरें।उन्हेंनिम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा:(1) निकटतम नेत्र बैंक को कॉल करें। जितनी जल्दी हम कॉल करेंगे, उतना बेहतर होगा। (2) मृत व्यक्ति की दोनों आंखें बंद रखें तथा सूखने से बचाने के लिए नम रुई से ढक कर रखें। (3) हम शव को हवा से दूर बंद कमरे में रख सकते हैं, तथा सुनिश्चित कर सकते हैं कि पंखा बंद हो। (4) यदि संभव हो तो शरीर के ऊपरी आधे हिस्से को लगभग 6 इंच ऊपर उठाएं। (5) जब उपयुक्त कर्मचारी आएं,तो उन्हें आंखें निकालने में 20 मिनट से ज़्यादा समय नहीं लेनाचाहिए। वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि आंख निकालने के कोई भी निशान न रह जाएं।नेत्रदान के लिए कौन पात्र है? सभी उम्र और लिंग के लोग नेत्रदान के लिए पात्र हैं। यहां तक ​​कि मायोपिया और हाइपरोपिया जैसी अपवर्तक त्रुटियों वाले लोग या मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने वाले लोग, उच्च रक्तचाप जैसी अन्य समस्याओं वाले लोग भी अपनी आंखें दान कर सकते हैं। कौन अपनी आंखें दान नहीं कर सकता?जिन लोगों को संक्रामक रोग हैं,वेअपनी आंखें दान नहीं कर सकते। नेत्र बैंक के कर्मचारी ऐसी आंखों का उपयोग करने से पहले इन बीमारियों की जांच करते हैं। ये कर सकते हैं नेत्रदान,अधिकतर मामलों में हर कोई नेत्रदान कर सकता है,इसमें ब्लड ग्रुप, आंखों के रंग, आई साइट, साइज, उम्र, लिंग आदि से कोई फर्क नहीं पड़ता है, डोनर की उम्र, लिंग, ब्लड ग्रुप को कॉर्नियल टीश्यू लेने वाले व्यक्ति से मैच करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है,जिन रोगियों ने मोतियाबिंद, काला पानी या अन्य आंखों का ऑपरेशन करवाया है, वे भी नेत्रदान कर सकते हैं, नजर का चश्मा पहनने वाले, मधुमेह, अस्थमा, उच्च रक्तचाप और अन्य शारीरिक विकारों जैसे सांस फूलना, हृदय रोग, क्षय रोग आदि के रोगी भी नेत्रदान कर सकते हैं। कौन नहीं कर सकता नेत्रदान-कई सारे गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं,जैसे एड्स, हैपेटैटिस, पीलिया, ब्लड केन्सर, रेबीज (कुत्ते का काटा), सेप्टीसिमिया, गैंगरीन, ब्रेन टयूमर, आंख के आगे की काली पुतली (कार्निया) की खराबी हो, जहर आदि से मृत्यु हुई हो या इसी प्रकार के दूसरे संक्रामक रोग हों, तो इन्हें नेत्रदान की मनाही होती है- नेत्रदान करने की सावधानी (1) पर‍िवार वालों को ज‍ितना जल्‍दी हो सके नेत्रदान की प्रक्र‍िया पूरी करवानी चाह‍िए,आंखों को डोनेट के बाद जल्‍द से जल्‍द ट्रांसप्‍लांट कर द‍िया जाता है। (2) यदि समय लगता है तो कॉर्न‍िया को कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा जाता है जहां से 7 द‍िनों के अंदर उसका इस्‍तेमाल कर ल‍िया जाता है।(3) नेत्रदान सरल और आसान प्रक्र‍िया है, इसमें महज 10 से 15 म‍िनट का समय लगता है।(4) मृत्‍यु के बाद नेत्रदान करने के ल‍िए डोनर के पर‍िवार की ओर से आईबैंक में जाकर फॉर्म भरा जाता है। (5) फॉर्म भरने के बाद पंजीकरण क‍िया जाता है,उसके बाद कार्ड भराजाता है।(6) ये पंजीकरण आप मृत्‍यु से पहले भी करवा सकते हैं ताक‍ि मृत्‍यु के बाद आपकी आंखों को दान क‍िया जा सके। (7) डोनर के पर‍िवार वालों के न‍िकटतम आईबैंक में टीम को सूच‍ित करना होता है इसके बाद टीम कॉर्न‍िया न‍िकालने की प्रक्र‍िया पूरी करती है। (8) मृत्‍यु के बाद आंखों को न‍िकालने से चेहरे पर कोई न‍िशान नहीं बनता है। गुप्त रखी जाती है जानकारी- (1)कोई भी व्‍यक्‍त‍ि आई डोनर तभी हो सकता है, जब उसकी मृत्‍यु हो गई हो यानी नेत्रदान केवल मृत्‍यु के बाद ही क‍िया जाता है।(2) नेत्रदान के ल‍िए उम्र की कोई सीमा तय नहीं होती, कोई भी व्‍यक्‍त‍ि नेत्रदान कर सकता है। (3) नेत्रदान करने वाले डोनर और ज‍िस मरीज को आंखें दी जा रही हैं, उन दोनों की जानकारी गुप्‍त रखी जाती है।(4) मृत्‍यु के बाद पर‍िवार का कोई भी सदस्‍य नेत्रदान कर सकता है।(5) नेत्रदान में किसी भी परिवार को न तो भुगतान करना होगा और न ही उन्हें इसके बदले में कोई पैसे मिलेंगे। साथियों बात अगर हम नेत्रदान के प्रति भारतीय समाज में भ्रांति की करें तो,इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्‍थेल्‍मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि भारत में नेत्रदान न करने के पीछे कोई सांस्कृतिक या धार्मिक कारण नहीं हैं, बल्कि गलत सूचना और दान किए गए ऊतक के उचित उपयोग न होने के कारण अधिक हैं, नेत्रदान को लेकर कई सारे मिथक हैं जिन्हें तोड़ने की जरूरत है. कई लोग मानते हैं कि नेत्रदान करने से अगले जन्म में नेत्रहीन पैदा होंगे, धर्म नेत्रदान की अनुमति नहीं देता है, नेत्रदान से शरीर विकृत हो जाता है, नेत्रदान के दौरान मृतक की पूरी आंखें निकाल ली जाती हैं और आंखों की जगह गड्डे बन जाते हैं, आदि आदि,इन धारणाओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है,यह समझना बेहद जरूरी है कि नेत्रदान के लिए आंखें नहीं निकाली जाती हैं, सिर्फ आगे की पुतली यानी कार्निया निकाला जाता है जिससे मृतक का चेहरा देखने में बुरा नहीं लगता। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करेंतो,हम पाएंगे कि विश्व नेत्रदानदिवस 10 जून 2025 पर विशेष-नेत्रदान महादान ,नेत्रदान मर के भी जिंदा रहने का अनमोल वरदान है।आओ अपनी आंखें दान करने का संकल्प लेकर,अपनी जिंदगी के बाद दूसरों की दुनियाँ रोशन करें-आत्मा की खिड़की रूपी आंखों को मृत्यु के बाद भी जीवित रखें। (संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 9 जून /2025