राष्ट्रीय
12-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। क्या आप जानते है कि मादा कनखजूरा अपने बच्चों को जन्म देने के तुरंत बाद ही उनका पहला भोजन बन जाती है। बच्चों के जन्म के साथ ही वे अपनी मां को खा जाते हैं। कनखजूरा, जो कि एक शिकारी कीड़े के रूप में जाना जाता है, अपनी लंबी और कई पैरों वाली शरीर संरचना के कारण देखने में भयावह लगता है। इसकी सबसे अनोखी बात इसका मातृत्व है। मादा अपने अंडों को एक रेशमी थैली में अपनी पीठ पर रखती है और उन्हें हर खतरे से बचाने के लिए स्वयं भूखे रह सकती है। बच्चे अंडों से निकलने के बाद मां की पीठ पर रहते हैं जब तक वे खुद शिकार करने में सक्षम नहीं हो जाते। लेकिन इसके बाद प्रकृति का सबसे क्रूर नियम सामने आता है। वैज्ञानिक इसे मातृभक्षण कहते हैं। नवजात बच्चे अपनी मां को खाना शुरू कर देते हैं, जो कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि एक प्राकृतिक और सुनियोजित प्रक्रिया है। मादा कनखजूरा अपने बच्चों के लिए खुद को बलिदान कर देती है ताकि वे मजबूत और स्वस्थ हो सकें। इस प्रक्रिया में मादा की मृत्यु हो जाती है, लेकिन बच्चे उसकी ऊर्जा और पोषण से जीवित रहते हैं। यह मातृत्व की एक अनोखी मिसाल है, जो मानव समझ से परे है। अध्ययनों से पता चला है कि यह बलिदान नवजात बच्चों के लिए प्रारंभिक भोजन का काम करता है क्योंकि वे बहुत कमजोर होते हैं और तुरंत पोषण की जरूरत होती है। मां का शरीर उनके लिए सबसे पौष्टिक और सहज उपलब्ध भोजन होता है। यह व्यवहार केवल कनखजूरा में नहीं, बल्कि कुछ मकड़ी प्रजातियों जैसे ब्लैक विडो में भी पाया गया है, लेकिन कनखजूरा का यह बलिदान सबसे ज्यादा चर्चित है क्योंकि यह पूरी तरह स्वैच्छिक होता है। मादा अपने बच्चों को रोकने की कोशिश नहीं करती बल्कि उन्हें अपने शरीर को खाने की अनुमति देती है। इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस घटना पर कई चर्चाएं हो रही हैं। कुछ इसे प्रकृति का चमत्कार मानते हैं तो कुछ इसे क्रूरता की मिसाल बताते हैं। एक यूजर ने लिखा, यह सुनकर दिल दहल जाता है कि बच्चे अपनी मां को खा जाते हैं, लेकिन शायद यही प्रकृति का नियम है। वहीं, दूसरे ने कहा, मादा कनखजूरा की ममता इंसानों के लिए भी सोचने वाली बात है। मालूम हो कि प्रकृति अपने आप में अनेक रहस्यों से भरी है। जहां एक ओर यह जीवन की ममता और प्यार का प्रतीक है, वहीं कुछ नियम इतने कठोर और चौंकाने वाले होते हैं कि सुनकर इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सुदामा/ईएमएस 12 जून 2025