सीहोर (ईएमएस)। निराशा एक अभिशाप है जो मनुष्य को दुख के दर्द से बाहर नहीं निकालने देता है । इस निराशा को जीतने के दो मुख्य उपाय है, पहला शरणागति और दूसरा उत्साह शक्ति। उक्त उदगार मुनिश्री संस्कार जी महाराज साहब ने श्रीं पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित छावनी में धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रवचन के दौरान कहां कि शरणागति का अर्थ है उनके पास चले जाना जो आशा के दीप समूह है । प्रभु और गुरु कि सच्ची शरणागति है । शरणागति में विश्वास का भाव है और विश्वास अपने आप में एक हिम्मत है करना सब कुछ हमको ही है दूसरे सिर्फ साथ दे सकते हैं मगर चलना हमको ही पड़ेगा । शरणागति हमारे कार्य में सहयोग, ताकत , स्पष्टता , स्फूर्ति, जोश ,टजुनून और उत्साह भर देती है । इसीलिए निराशा को हरने वाले गुरु और प्रभु की शरणागति प्रत्येक क्षण करना चाहिए ।दूसरा उपाय उत्साह शक्ति है यह उपाय आपको स्वयं से ही जागृत करना पड़ेगा शरणागति के पास रहने से उत्साह शक्ति आपको स्वयं बढ़ाते रहना चाहिए उत्साह शक्ति लंगड़े व्यक्ति को भी हिमालय जैसे पहाड़ चढ़ा देती है रंक को राजा बना देती है असफल को सफलतम में बना देती है मरते मरते भी जीना और जीते जी भी जीना उत्साह उत्साह शक्ति की ही दया दृष्टि है।उत्साह शक्ति की उर्जा के कारण चींटी अपने आप से कई गुना भार सरलता से उठा लेती है।जब छोटी सी चींटी के उत्साह शक्ति से सफलता दे सकती है तो फिर हम तो मानव है जो परमात्मा शक्ति संपन्न है तो फिर क्यों न उत्साहित जीवन प्रारंभ किया जाए । समय केसा भी क्यों ना हो उत्साह शक्ति कभी कम ना हो।मुनिश्री संस्कार सागर जी मुनि श्री विकोशल महाराज ससंघ आर्यिका विजिज्ञासा माता जी ससंघ संत भवन में विराजमान है।मुनिश्री संस्कार सागर जी महाराज ससंघ आर्यिका विजिज्ञासा माता जी के सानिध्य में प्रतिदिन प्रातः श्री जी के अभिषेक शांति धारा नित्य नियम पूजा अर्चना धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर श्रधदालु धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं। तत्पश्चात धर्म सभा में मुनिश्री संस्कार सागर जी आर्यिका विजिज्ञासा माता जी के प्रवचन श्रावक श्राविकाएं श्रवण कर धर्म लाभ अर्जित कर रहे हैं। दोपहर में स्वाध्याय धार्मिक शिक्षण कक्षा में धार्मिक शास्त्र ग्रन्थ का वाचन।संध्या को गुरु भक्ति संगीत मय भजन कीर्तन कर श्रधदालुओ द्वारा किए जा रहे है। विमल जैन / ईएमएस / 13 जून 2025