देश का हृदयस्थल कहा जाने वाला मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में निवेश और विकास के क्षेत्र में नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बीते डेढ़ बरस के छोटे से समय में उनकी दूरदर्शी नीतियों, स्पष्ट प्रशासनिक दृष्टिकोण और निवेशक-अनुकूल रणनीतियों ने प्रदेश को औद्योगिक और आर्थिक प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में निवेश की गति धुआंधार रही है और विकास तेजी से हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को निवेश के लिए आदर्श गंतव्य बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इसका जीता जागता उदाहरण रहा जहाँ मोहन का मैजिक इस कदर चला कि इस समिट में 30 लाख 77 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए जो प्रदेश के आर्थिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे पहले भी एमपी में निवेशक सम्मेलन आयोजित होते रहे लेकिन बड़े निवेश के प्रस्ताव राज्य को नहीं मिल पाए। डॉ. मोहन यादव की मजबूत इच्छा शक्ति का परिणाम है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से उन्होनें देश और दुनिया में एमपी की पताका फहरा दी। इन निवेश प्रस्तावों से लगभग 21 लाख रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है,जो एक रिकार्ड है। इस समिट में विभिन्न क्षेत्रों जैसे एविएशन, आईटी, कृषि और शहरी विकास में निवेश के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। मोहन के नेतृत्व में मध्यप्रदेश अब केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए भी एक आकर्षक गंतव्य बन रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य प्रदेश के हर कोने में औद्योगिक विकास को गति देना है। उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर , नर्मदापुरम जैसे शहरों में आयोजित इन कॉन्क्लेव्स ने स्थानीय स्तर पर निवेशकों को आकर्षित किया है। ये कॉन्क्लेव न केवल राज्य में व्यापक निवेश को प्रोत्साहित कर रहे हैं, बल्कि इससे स्थानीय उद्यमियों और छोटे-मध्यम उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने एमएसएमई सेक्टर के लिए 5000 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की है, जिससे छोटे निवेशकों की बांछे खिल गई हैं। मोहन सरकार ने अपने कार्यकाल में औद्योगिक विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है जिसमें औद्योगिक पार्कों को बढ़ावा देने के साथ स्मार्ट औद्योगिक टाउनशिप विकसित करने पर जोर दिया गया है। इस पहल से रोजगार के नए अवसर न केवल मिलेंगे बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। मध्यप्रदेश बहुत जल्द ड्रोन निर्माण का बड़ा हब भी बनने जा रहा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए मोहन सरकार ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति 2025 को मंजूरी दी है जिससे नए स्टार्ट अप कंपनियों और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने ड्रोन स्कूल खोने की बड़ी कार्ययोजना भी तैयार की है जिसके माध्यम से युवाओं को ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे राज्य में रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे। डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को न केवल औद्योगिक, बल्कि आध्यात्मिक और वेलनेस हब के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। पिछले दिनों उज्जैन में आयोजित स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट 2025 में 1950 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इस समिट ने मध्यप्रदेश को भारत के वेलनेस मिशन का नेतृत्व करने वाला राज्य बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में मेडिसिटी की स्थापना और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के साथ समझौता इस दिशा में उनकी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन जैसे आध्यात्मिक संगठनों ने भी उज्जैन में केंद्र स्थापित करने के लिए पत्र सौंपा है जो प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को और समृद्ध करेगा। मध्यप्रदेश शहरी विकास के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सात स्मार्ट सिटी, 80% पाइप जलापूर्ति और 6000 किलोमीटर शहरी सड़कों का विकास इसकी गवाही देता है। शहरी विकास में 88 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं जिनमें 50 हजार करोड़ रुपये से 10 लाख नए आवासों की योजना शामिल है। ये प्रयास मध्यप्रदेश को निवेशकों और डेवलपर्स के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने पर पहले से ही विशेष जोर दिया है। आज मध्यप्रदेश में सरप्लस बिजली, उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हैं। अब प्रदेश में उद्योग-अनुकूल नीतियां निवेशकों को इन दिनों खूब लुभा रही हैं। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्तावों के लिए कस्टमाइज्ड नीतियां , सिंगल विंडो सिस्टम को प्रोत्साहन और विभिन्न विभागों की तरफ से विशेष सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है, जो निवेशकों के लिए अतिरिक्त बूस्टर डोज का काम कर रहा है। नीति आयोग ने भी मध्यप्रदेश को तेजी से प्रगति करने वाले राज्यों में अग्रणी माना है जो मुख्यमंत्री डॉ. यादव के दूरदर्शी नेतृत्व की व्यापक प्रभावशीलता को दिखा रहा है। मध्यप्रदेश अब नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है जो केंद्र सरकार की पीएम कुसुम योजना के तहत संचालित की जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है ताकि किसानों को दिन के समय सस्ती और स्थायी बिजली उपलब्ध हो सके। यह योजना न केवल किसानों को सिंचाई के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करती है बल्कि उन्हें सौर ऊर्जा के उत्पादक के रूप में भी सशक्त बनाती है। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है जो अपने सभी कृषि फीडरों को सौर ऊर्जा से जोड़ेगा। आज प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता 15 गुना बढ़ चुकी है जिसमें सौर ऊर्जा में 48 प्रतिशत और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अब तक प्रदेश में 80 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं जिनसे 16,000 से अधिक कृषि पंप सौर ऊर्जा से संचालित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त 240 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापना के चरण में हैं और 200 मेगावाट की परियोजनाएं प्रक्रियाधीन हैं। कुल मिलाकर, 520 मेगावाट की परियोजनाओं से 1 लाख से अधिक पंपों को सौर ऊर्जा से जोड़ा जाएगा। 10 जून 2025 को भोपाल में आयोजित पहली सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना समिट का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इस समिट में देश और प्रदेश के 350 से अधिक निवेशकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया जो प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। समिट में सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को प्रदर्शित किया जिसमें छोटे और बड़े दोनों प्रकार के निवेशकों ने उत्साह दिखाया। सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना ने मध्यप्रदेश में निवेश और रोजगार की दिशा में एक नया द्वार खोला है। समिट में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की संभावना व्यक्त की गई जो न केवल सौर ऊर्जा क्षेत्र में बल्कि आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का विजन मध्यप्रदेश को 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 6% योगदान देने वाला राज्य बनाना है। भारतीय उद्योग परिसंघ की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2047-48 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। डॉ. यादव का कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व मध्यप्रदेश को न केवल औद्योगिक और शहरी विकास में बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी एक वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि सोलर एनर्जी से किसानों की जीवन-शैली भी बदलेगी। सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए बिजली के बिल से मुक्ति दिलाएगी। आगामी तीन वर्ष में 32 लाख सोलर पंप कनेक्शन लगाए जाएंगे। वर्ष 2025 तक प्रदेश के सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाए जाएंगे। डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में एमपी तेजी से निवेश और विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और क्षेत्रीय कॉन्क्लेव्स के माध्यम से अब तक 75 हजार से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव, ड्रोन संवर्धन एवं उपयोग नीति 2025 , सूर्य मित्र कृषि फीडर समिट, स्पिरिचुअल एंड वेलनेस समिट सरीखी पहल ने मध्यप्रदेश को निवेशकों के लिए न केवल एक आदर्श डेस्टिनेशन बनाया है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत बनाने की दिशा में यह एक सधा हुआ कदम है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं ) ईएमएस / 14 जून 25