लेख
14-Jun-2025
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-(फादर्स डे 15 जून विशेष) जून माह का तीसरा रविवार पिता के सम्मान प्रेम और योगदान को समर्पित किया गया है। इस वर्ष यह दिवस 15 जून को मनाया जा रहा है। मातृत्व की महत्ता से अभिभूत तथा मदर्स डे के उपदेशों से प्रेरित होने वाली सोनोरा स्मार्ट डोड ने अपने पिता के सम्मान में 19 जून 1910 को वाशिंगटन के स्पोकेन में पहली बार फादर्स डे मनाने की परंपरा का आगाज किया। पितृत्व त्याग और प्रेम को समर्पित इस दिवस को माता के सम्मान में मनाये जाने वाले मदर्स डे का पूरक माना जाता है। स्मार्ट डोड के पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट, अमेरिकी गृह युद्ध के एक जांबाज योद्धा थे। पहली पत्नी एलिजाबेथ और दूसरी पत्नी एलेन विक्टोरिया चीक की मृत्यु के उपरांत विलियम ने अकेले पिता के रूप में कठिन परिस्थितियों के बावजूद नवजात शिशु सहित अपने छ: बच्चों के परवरिश की गहन जिम्मेदारी का निर्वाह किया। अपनी संतान के प्रति उनका अटूट प्रेम, संघर्ष और त्याग ही फादर्स डे के पीछे की प्रेरणा बन गया। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि लौकिक ईश्वर का दर्जा प्राप्त माता-पिता के त्याग, समर्पण और प्रेम को शब्दों एवं समय की परिधि से बांधा नहीं जा सकता। इनके योगदान के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए संभवतः संपूर्ण जीवन भी कम पड़ जाए। भाग-दौड़ भरी व्यस्तता और परिवार के मुखिया के लिए अव्यक्त अभिव्यक्ति के बीच जून का तीसरा रविवार यह मौका देता है कि फादर्स डे के बहाने पिता के योगदान और भूमिका का अहसास कर अपने पिता के प्रति प्रेम, सम्मान और आभार को खुल कर व्यक्त कर सकें। फादर्स डे पिता के महत्व को पहचानने और उनके योगदान को सराहने का अवसर देता है। यह विशेष दिवस पारिवारिक बंधन को मजबूत करने में पिता की भूमिका का मार्मिक अहसास कराने के साथ ही पिता और बच्चों के बीच के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ करने में मदद करता है। परिवार एवं समाज में पिता की भूमिका और उनके महत्व को बढ़ावा देने के साथ ही उनके योगदान को सराहने का अवसर भी प्रदान करता है। जून के तीसरे रविवार को फादर्स-डे के रूप में मनाये जाने हेतु अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन बी जॉनसन ने वर्ष 1966 में इसे आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी। वर्ष 1972 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने फादर्स डे को एक स्थायी राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। हालांकि सोनोरा स्मार्ट डोड द्वारा प्रारंभ फादर्स-डे मनाये जाने को 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कूलिज ने समर्थन देने की घोषणा की थी, किंतु आधिकारिक तौर पर इसे वर्ष 1966 में ही मान्यता मिल पायी। पिता के प्रेम को परिभाषित कर पाना काफी मुश्किल है, क्योंकि यह प्रेम अनकहा और अक्सर अल्प व्यक्त होता है, लेकिन इसका प्रभाव बच्चों के जीवन पर गहरा होता है। पिता का प्रेम एक माँ के प्रेम से अलग होता है। यह प्रेम एक मार्गदर्शक प्रकाश है, जो हर बच्चे के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत है। परिवार में पिता की भूमिका संरक्षक एवं मार्गदर्शक का होता है। परिवार के लिए आदर्श स्थापित करने वाले पिता से उनकी संतान ज्ञान, शक्ति और साहस प्राप्त करते हैं। मुश्किल समय में सहारा और भावनात्मक शक्ति पिता से प्राप्त होती है। अनुशासन मिश्रित पिता का प्रेम बच्चों को सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। पिता अपने बच्चों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। वो हमेशा अपनी मेहनत और समर्पण से उन्हें प्रेरित करते हैं। पिता अपनी संतान को ना केवल दैहिक और आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि उन्हें सामाजिक पहचान, प्रतिष्ठा और भावनात्मक समर्थन भी प्रदान करता है। प्रेरणा और मार्गदर्शन तथा जीवन के मूल्यों से परिचय कराते हुए बच्चों में साहस, ज्ञान और आत्मविश्वास उत्पन्न करता है। हालांकि यह एक कड़वा सच है कि अक्सर पिता परिवार की आर्थिक जरूरतों एवं संतान की जरूरत को पूरा करने के लिए परिवार एवं बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाता है। जिस कारण माता की अपेक्षा पिता का प्रेम प्रायः अव्यक्त और अपरिभाषित ही रह जाता है। मांँ है ममता की फर्श, पिता छत और दीवार होता है मांँ से होता है घर जनाब, तो पिता से संसार होता है। सरल शब्दों में कहा जाय तो सामाजिक दायित्व और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा सामान्य ऊर्जा और साधारण व्यक्तित्व वाला पिता अपने बच्चों के लिए उसके जीवन का आदर्श और उसका सुपर हीरो होता है। ईएमएस/14जून2025