16-Jun-2025
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वाशिंगटन,(ईएमएस)। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की चिंता फिर बढ़ी है। दरअसल एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह 2024 वायआर 4, इस पहले पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा था। अब नई गणनाओं से पता चला है कि यह एस्टेरॉयड 22 दिसंबर 2032 को चंद्रमा से टकरा सकता है। नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसकी संभावना को गंभीरता से लेकर नजर रखने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का उपयोग शुरू कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि अगर यह विशाल एस्टेरॉयड चांद से टकराता है, तब इसका पृथ्वी पर क्या असर होगा? इस क्षुद्रग्रह का आकार 40 से 90 मीटर के बीच हो सकता है, जो एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा हो सकता है।इस एस्टेरॉयड को सिटी किलर की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यह किसी शहर को पूरी तरह तबाह करने की क्षमता रखता है। शुरुआत में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना 3.1 प्रतिशत है, लेकिन जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के नवीनतम डेटा के आधार पर यह जोखिम अब लगभग शून्य (0.004 प्रतिशत ) हो गया है। हालांकि, राहत की सांस लेने से पहले एक नई चिंता सामने आई है। खगोलशास्त्री के अनुसार, इस एस्टेरॉयड के चंद्रमा से टकराने की संभावना अब 2 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो पहले के 1.7 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है। चंद्रमा पर पृथ्वी की तरह कोई वायुमंडल नहीं है, जो एस्टेरॉयड की गति को कम कर सके। अगर यह चंद्रमा से टकराता है,तब यह 30,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से सतह पर गिरेगा। इससे चंद्रमा की सतह पर करीब 6500 फीट (लगभग 2 किमी) चौड़ा और सैकड़ों मीटर गहरा गड्ढा बन सकता है। एक खगोलशास्त्री का कहना है कि टक्कर से चंद्रमा का मलबा अंतरिक्ष में फैल सकता है, जिसका कुछ हिस्सा पृथ्वी की ओर आ सकता है। हालांकि, उनका मानना है कि इससे पृथ्वी पर कोई बड़ा खतरा नहीं होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रमा की कक्षा पर टक्कर का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह वैज्ञानिकों के लिए एक अनोखा अवसर होगा, क्योंकि वे वास्तविक समय में एक नया क्रेटर बनते देख सकते है। चंद्रमा पर इस टक्कर का पृथ्वी पर सीधा प्रभाव सीमित होगा। मलबे के कुछ छोटे टुकड़े पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन ये ज्यादातर जलकर नष्ट हो जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कोई बड़े पैमाने की तबाही नहीं होगी। हालांकि, अगर टक्कर दिन के समय होती है, तब चंद्रमा पर बनने वाला गड्ढा और उससे उठने वाली धूल पृथ्वी से दिखाई दे सकती है, जो एक दुर्लभ खगोलीय घटना होगी। नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इस एस्टेरॉयड पर कड़ी नजर रख रही हैं। आगे जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इसका दोबारा अध्ययन करेगा, ताकि इसके आकार, संरचना और प्रक्षेप पथ की सटीक जानकारी मिल सके। चीन ने भी खतरे को देखते हुए एक विशेषज्ञ टीम गठित की है, जो 2028 में एस्टेरॉयड के पृथ्वी के पास से गुजरने का अध्ययन करेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी, तब एस्टेरॉयड के रास्ते को बदलने के लिए अंतरिक्ष यान से टक्कर या परमाणु विस्फोट जैसे उपाय किए जा सकते हैं। आशीष/ईएमएस 16 जून 2025