नई दिल्ली (ईएमएस)। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल इस साल बढ़कर 89.29 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 87.81 लाख हेक्टेयर था। सीजन की शुरुआत में ही बुवाई क्षेत्र में 1.48 लाख हेक्टेयर की वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है। इससे न केवल फसलों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में इजाफा होगा और खाद्य मंहगाई को नियंत्रित रखने में भी मदद मिलेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, धान की रोपाई जो अभी शुरू हुई है, इस साल 13 जून तक 4.53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 4 लाख हेक्टेयर थी। वहीं उड़द और मूंग जैसी दालों की बुवाई का क्षेत्र बढ़कर 3.07 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले साल यह 2.6 लाख हेक्टेयर था। बुवाई के शुरुआती चरण में 0.49 लाख हेक्टेयर की यह बढ़ोतरी एक अच्छा संकेत है। वहीं तिलहनों की बुवाई भी इस साल तेज हुई है। 13 जून तक इसके तहत बुवाई का क्षेत्रफल बढ़कर 2.05 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 1.5 लाख हेक्टेयर था। ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाजों के तहत बुवाई का क्षेत्रफल अब तक 5.89 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इस साल मानसून की शुरुआत बेहतर रही है, जिससे असिंचित क्षेत्रों में बुवाई करना आसान हो गया है। ज्ञात रहे कि भारत की लगभग 50 प्रतिशत कृषि भूमि असिंचित श्रेणी में आती है, जहां मानसून ही मुख्य स्रोत होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 28 मई को विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसलों के लिए लाभकारी मूल्य देना और फसल उत्पादन को बढ़ावा देना है। सुबोध\१७\०६\२०२५