धर्मगुरु ने भारतीय तीर्थयात्री को वहां निकालने की मोदी सरकार से की अपील नई दिल्ली,(ईएमएस)। सऊदी अरब के मक्का शहर में काबा को इस्लाम का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। हर साल दुनिया भर के लाखों मुसलमान हज करने मक्का जाते हैं लेकिन जो हज पर नहीं जा पाते हैं ऐसे मुस्लिम तीर्थयात्री (जायरीन) ईरान और इराक के पवित्र धर्मस्थलों में जाते हैं। भारत के भी ऐसे तीर्थयात्री जो हज पर जाने का खर्च नहीं उठा सकते, वे ईरान और इराक के धार्मिक स्थलों पर जाते हैं। हर साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में मुस्लिम तीर्थयात्री ईरान और इराक गए हैं, लेकिन इजराइल-ईरान में जंग छिड़ने के बाद ये तीर्थयात्री वहां फंस गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच जंग के हालात की वजह से हवाई उड़ाने बंद हैं। इस वजह से तीर्थयात्री वहां फंसे हैं। इनमें से कई के पास पैसे खत्म हो गए हैं तो कुछ लोगों की दवाएं खत्म हो चुकी हैं। इस बीच शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने मोदी सरकार से अपील की है कि वह बढ़ते इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच ईरान में फंसे भारतीय तीर्थयात्रियों को वहां से निकालकर स्वदेश लाए। इस्लामिक वर्ल्ड में ईरान का एक अलग महत्व है। खासकर शिया मुस्लिमों के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि यहां कई धार्मिक स्थल हैं। भारत से भी बड़ी संख्या में मुसलमान हर साल वहां तीर्थयात्रा करने जाते हैं। इमाम रजा का मजार यह ईरान का सबसे पवित्र शिया तीर्थस्थल है, जो मशहद में है। यहां आठवें इमाम अली अल-रिज़ा की मजार है। यह खोरासान प्रांत में है। इसे ईरान का एक आध्यात्मिक केंद्र माना जाता है। 2017 में इसे इस्लामिक दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया था। हर साल करीब 2.5 करोड़ तीर्थयात्री मशहद जाते हैं। पूरे इस्लाम में इसे तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। क्वोम शहर शिया धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां फातिमा मासूमह का मजार है। फातिमा मासूमह, इमाम रजा की बहन हैं। उन्हीं का मकबरा यहां स्थित है। यह मशहद के बाद शिया मुस्लिमों के लिए दूसरा पवित्र स्थल है। पूरे इस्लाम में इसे चौथा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। 17वीं शताब्दी में शाह अब्बास प्रथम ने इसे बनवाया था। क्वोम में ही जमकरान मस्जिद है। यह बारहवें शिया इमाम, इमाम जमान (महदी) से इसका ताल्लुक है। इसका निर्माण 10वीं शताब्दी में कराया गया था। इसे शिया मुसलमानों के लिए एक अहम प्रार्थना स्थल माना जाता है। हाल के वर्षों में युवाओं के बीच इस मस्जिद को लेकर रुझान बढ़ा है। इसके अलावा शिराज में स्थित शाह-ए-चराघ का मजार दो शिया इमामों, अहमद और मुहम्मद, के सम्मान में बनाया गया है। सिराज/ईएमएस 18जून25 -----------------------------