राष्ट्रीय
19-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। बीते छह दिनों से ईरान और इजरायल के बीच छिड़ा युद्ध भयावक होता जा रहा है। इजरायली सेना ने बताया है कि उसके लड़ाकू विमानों ने यूरेनियम ‘सेंट्रीफ्यूज’ और मिसाइलों के कल-पुर्जे बनाने वाले केंद्रों को निशाना बनाकर तेहरान पर बमबारी की है। दूसरी तरफ, इजरायल ने कहा है कि रात भर में ईरान की करीब 10 मिसाइलों को मार गिराया गया है। दोनों देशों के बीच गहराते युद्ध के बीच पश्चिम एशिया का 33 किलोमीटर संकरा जलमार्ग यानी होर्मुज जलडमरूमध्य वैश्विक चिंता का केंद्र बन गया है। आशंका है कि कहीं ईरान इस समुद्री मार्ग को अवरुद्ध न कर दे। ईरानी नेता बार-बार संकरे जलमार्ग को बंद करने की धमकी दे रहे हैं। हालांकि, इससे पहले भी कई बार तेहरान ने इसी तरह की धमकियां दी हैं लेकिन कभी भी इस संकरे मार्ग को बंद नहीं होने दिया। यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यानी यह एक रणनीतिक समुद्री प्रवेश द्वार है, जहां से दुनिया के कुल तेल व्यापार का करीब पांचवां हिस्सा गुजरता है। अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन के अनुसार, वर्ष 2024 में रोजाना औसतन 2 करोड़ बैरल तेल का व्यापार इस मार्ग से हुआ है। यह संकरा जलमार्ग सऊदी अरब, इराक, कुवैत, यूएई और ईरान जैसे कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के प्रमुख निर्यातकों को प्राथमिक निर्यात मार्ग देता है। अगर यह रूट बंद होता है, तब इन देशों के लिए भी झटका होगा क्योंकि उनका निर्यात रुक जाएगा। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक, होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया की करीब 25 फीसदी तेल आपूर्ति का मार्ग है। आईईए ने कहा है कि अगर ईरान ने सीमित अवधि के लिए भी इस मार्ग को अवरूद्ध किया, तब पूरी दुनिया में तेल और गैस की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की सबसे बड़ी सूचीबद्ध तेल टैंकर कंपनी फ्रंटलाइन ने कहा है कि उसने अब होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर खाड़ी में जाने वाले नए अनुबंधों से इंकार करना शुरू कर दिया है। इस बीच, तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बता दें कि इस जलमार्ग से हरेक महीने 3000 से ज्यादा कॉमर्शियल शिप गुजरते हैं। आईएए के मुताबिक, 2022 में होर्मुज से गुजरने वाले कच्चे तेल और कंडेनसेट निर्यात का करीब 82 फीसदी सिर्फ एशिया के लिए था, इसमें भी भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी 67 फीसदी थी। यानी भारत के अलावा इन देशों के लिए भी जलमार्ग दुखती रग मके सामान है। बात दें कि भारत इस रूट से ही अपने कच्चे तेल का करीब 90 फीसदी हिस्सा आयात करता है। इसमें से 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सिर्फ मध्य-पूर्व के देशों से इसी संकरे जलमार्ग से आता है। हालांकि, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भरोसा दिलाया हैं कि भारत में पर्याप्त मात्रा में तेल भंडार है। “भारत का कुल तेल भंडार करीब 74 दिनों का है, आईओसीएल का भंडार 40-42 दिनों का है, सरकार के विशेष प्रयोजन वाहन, भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड के पास 9 दिनों से अधिक का भंडार है, और बाकी का रखरखाव बीपीसीएल और एचपीसीएल द्वारा किया जाता है।” बता दें कि 2019 में, जब होर्मुज में टैंकरों पर हमले होने लगे थे तब भारत ने तेल टैंकरों को एस्कॉर्ट करने के लिए वहां अपनी नौसेना को तैनात किया था और होर्मुज शांति पहल के तहत तेहरान के साथ कूटनीतिक रूप से बातचीत की थी। आशीष/ईएमएस 19 जून 2025