नई दिल्ली,(ईएमएस)। महिला कांग्रेस ने देश में लगभग 60 प्रतिशत महिलाओं को सैनिटरी पैड उपलब्ध नहीं होने कर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कपड़े के उपयोग से महिलाएं गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही हैं, जबकि मोदी सरकार केवल अपने खोखले प्रचार में व्यस्त है। कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा ने मासिक धर्म स्वच्छता के मुद्दे पर चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने बताया कि बिहार में 80 प्रतिशत लड़कियों को सैनिटरी पैड नहीं मिल पाता है। उन्होंने बताया कि पटना हाईकोर्ट के इस आदेश के बावजूद की बिहार के 40,000 स्कूलों में सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें होनी चाहिए, केवल 350 स्कूलों में ही ऐसी मशीनें लगाई गईं। लड़कियों को प्रति वर्ष 300 रुपये दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें वह पैसा भी नहीं मिल रहा है। महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जो काम बिहार सरकार को करना चाहिए था, वह लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में महिला कांग्रेस ने प्रियदर्शिनी उड़ान प्रोजेक्ट के तहत किया है। उन्होंने बताया कि शुरुआती तौर पर बिहार के बेगूसराय, वैशाली और दिल्ली में सैनिटरी वेंडिंग मशीनें लगाई गई हैं। इन मशीनों के माध्यम से 50 महिलाओं को रोजगार भी मिला है। अलका लांबा ने घोषणा की कि राहुल गांधी के जन्मदिन के अवसर पर बिहार में 25,000 महिलाओं को सैनिटरी पैड वितरित किए जाएंगे, ताकि वे बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने प्रियदर्शिनी उड़ान योजना की शुरुआत का एक वीडियो भी साझा किया। महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने राजस्थान में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की प्रियदर्शनी उड़ान प्रोजेक्ट की सराहना की, जिसे 19 नवंबर 2011 को अशोक गहलोत सरकार ने शुरू किया था। इस योजना के तहत 11 से 45 साल की आयु की 1 करोड़ 23 लाख महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड दिए जा रहे थे। हालांकि, उन्होंने वर्तमान भाजपा की डबल इंजन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उड़ान योजना में डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, जिसमें मुफ्त सैनिटरी पैड वापस सरकार को ही बेच दिए गए। उन्होंने भरतपुर, राजस्थान की आंगनवाड़ियों का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां आखिरी बार 2024 में केवल 810 सैनिटरी पैड आए थे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देश की 40 करोड़ जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रही है। जिन पैड पर महिलाओं का अधिकार है, वो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 14 से 17 साल आयु की बड़ी संख्या में लड़कियों ने मासिक धर्म के कारण अपनी स्कूली शिक्षा छोड़ दी। अलका लांबा ने कहा कि ओडिशा के मलकानगिरी और कालाहांडी में 97 प्रतिशत महिलाओं द्वारा मासिक धर्म में कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। वीरेंद्र/ईएमएस/19जून2025