लेख
20-Jun-2025
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(**अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-21जून पर विशेष**) योग भगाता रोग है,काया हो आदित्य। स्वास्थ्य रहे हरदम खरा,मिले ताज़गी नित्य।। योग कला है,ज्ञान है,ऋषियों का संदेश। तन-मन की हर पीर को,करे दूर,हर क्लेश।। योग साधना मानकर,पाते हम बल-वेग। गति-मति में हो श्रेष्ठता,मिले खुशी का नेग।। दीर्घ आयु मिलती सदा,अपनाते जो ध्यान। योग करो,ताक़त गहो,पाओ नित सम्मान।। योग कह रहा नित्य यह,लेना शाकाहार। तभी मिलेगा हर कदम,जीवन में उजियार।। भारत चिंतन में प्रखर,देता उर-आलोक। योग-ध्यान से बंधुवर,पास न आता शोक।। योग दिवस मंगल रचे,अखिल विश्व में मान। योगासन हर मुद्रा,पाती है यशगान।। योग साधना दिव्य है,रामदेव जी संत। जिन ने भारत से किया,सकल रुग्णता अंत।। योग नया विश्वास है,चोखी है इक आस। जो जीवन-आनंद दे,रचे नया मधुमास।। योग-ध्यान से नेह कर,गाओ जीवन गीत। तन-मन को बलवान कर,पाओ हरदम जीत।। ईएमएस / 20 जून 25