लेख
20-Jun-2025
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(अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर) योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर के नेतृत्व में इस योग दिवस पर इतिहास रचने की तैयारी है। जिसमें अमेरिका, यूरोप,अफ्रीका व एशिया के हजारों प्रतिभागी 12 गिनीज बुक रिकॉर्ड की तैयारी में जुटे हैं। यह आयोजन इस बार विश्व योग दिवस पर होने जा रहा है। योग गुरु हिमालय सिद्ध अक्षर कहते हैं कि हमारा यह प्रयास हमारी प्राचीन भारतीय योग विरासत के संरक्षण के साथ दुनिया को यह बताना है कि इसके असली वारिस हम ही हैं। इस बार ग्यारहवें विश्व योग दिवस के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थीम ’ योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ घोषित की है।अक्षर योग केंद्र के नाम पहले ही योगासनों के नौ विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं। जिसमें संस्थान के नाम वर्ष 2021 में वशिष्ठासन, 2022 में धनुरासन, वर्ष 2023 में उष्ट्रासन, हलासन तथा 2024 में चक्रासन, नौकासन, कौडिन्यासन, नटराजनासन व सूर्य नमस्कार के लिये गिनीज बुक रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं।गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्था की सौ सदस्यों की टीम के साथ संस्था के बड़े अधिकारी बंगलूरु में आसनों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करेंगे। योग के इस महाकुंभ में करीब साठ देशों के योग साधक भाग लेगें। फिलहाल इसमें अमेरिका, जर्मनी,फ्रांस, यूरोप के बाकी कुछ देशों से स्वीटजरलैंड, लंदन, नीदरलैंड,जापान, मलेशिया, ताइवान सिंगापुर के प्रतिभागियों ने भाग लेना सुनिश्चित किया है। शारीरिक और मानसिक उपचार योग के सबसे अधिक ज्ञात लाभों में से एक है। यह इतना शक्तिशाली और प्रभावी इसलिए है क्योंकि यह सद्भाव और एकीकरण के सिद्धांतों पर काम करता है।योग अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप, गठिया, पाचन विकार और अन्य बीमारियों में चिकित्सा के एक सफल विकल्प है, ख़ास तौर से वहाँ जहाँ आधुनिक विज्ञान आजतक उपचार देने में सफल नहीं हुआ है। एचआईवी पर योग के प्रभावों पर अनुसंधान वर्तमान में आशाजनक परिणामों के साथ चल रहा है। चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसार, योग चिकित्सा तंत्रिका और अंतःस्रावी तंत्र में बनाए गए संतुलन के कारण सफल होती है जो शरीर के अन्य सभी प्रणालियों और अंगों को सीधे प्रभावित करती है। अधिकांश लोगों के लिए,योग केवल तनावपूर्ण समाज में स्वास्थ्य बनाए रखने का मुख्य साधन हैं। योग बुरी आदतों के प्रभावों को उलट देता है -- जैसे कि सारे दिन कुर्सी पर बैठे रहना, मोबाइल फोन को ज़्यादा इस्तेमाल करना, व्यायाम ना करना, ग़लत ख़ान-पान रखना इत्यादि।इनके अलावा योग के कई आध्यात्मिक लाभ भी हैं। यह स्वयं योग अभ्यास करके हासिल किया जा सकता है। हर व्यक्ति को योग अलग रूप से लाभ पहुँचाता है। योग को अवश्य अपनायें और अपनी मानसिक, भौतिक, आत्मिक और अध्यात्मिक सेहत में सुधार लायें।योग भारतीय संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग है इसके महत्व और वैज्ञानिकता को पूरे विश्व द्वारा स्वीकार किया जाना देश के लिये एक गर्व की बात है। भारतीय सभ्यता, संस्कृति और जीवन शैली के अभिन्न अंग योग की महत्व तथा वैज्ञानिकता को पूरा विश्व स्वीकार कर चुका है। ‘योग’ सकारात्मक ऊर्जा के साथ जीवन जीने की सर्वश्रेष्ठ कला है।यह धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक विशुद्ध विज्ञान है। योग सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति है । जो हमारे शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।योगाभ्यास से संयम, धर्य और सहिष्णुता जैसे मानवीय गुण पोषित होते हैं. यह मानसिक भटकाव तथा तनाव से मुक्ति का सबसे कारगर उपाय है। योग में ‘संभावनाओं को संभव’ में परिवर्तित करने की जादुई शक्ति निहित है। विज्ञान व तकनीकि के इस युग में इंसान कई तरह के मानसिक दबाव के बीच जीने को मजबूर होकर तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो रहा है । ऐसे में योग ही एक ऐसा निर्विवादित और शुद्ध उपाय है जो सहज व स्वस्थ जीवन जीने की शक्ति दे सकता है। योग क्रिया का पूरा फायदा मिले ,इसके लिए जरूरी है कि योग सही तरीके से किया जाए। सुबह-शाम कभी भी आसन कर सकते हैं।योग सिर्फ एक दिन का नही है यह तो नियमित पाठशाला है।वास्तव में हमारे माता पिता ,शिक्षक और गुरु के रूप में परमात्मा शिव हमे रोज़ योग की परिणति के रूप में ईश्वरीय ज्ञान का पाठ पढाते है।शारिरिक अभ्यास को भौतिक योग कहे, जबकि आंतरिक योग तो तन मन से जुड़ता है,निराकार परमात्मा शिव से आत्मा का सम्बंध बनता है।तभी तो आत्मा पतित से पावन बन जाती है और शरीर भी स्वस्थ व निरोगी बन जाता है।यही राजयोग की सफलता का आधार है और यही वास्तविक योग है,जिसे पूरी दुनिया को आत्मसात करना चाहिए। (लेखक आध्यात्मिक चिंतक एवं राजयोग प्रशिक्षु है) ईएमएस / 20 जून 25