लेख
20-Jun-2025
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(अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष) योग, जिसका शाब्दिक अर्थ है जोड़ या मिलन न केवल शारीरिक व्यायाम का एक रूप है, बल्कि यह जीवन को संतुलित, स्वस्थ और सार्थक ढंग से जीने की कला भी है। यह प्राचीन भारतीय दर्शन और अभ्यास है, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। योग केवल आसन या शारीरिक मुद्राओं तक सीमित नहीं है; यह ध्यान, प्राणायाम, नैतिक अनुशासन और आध्यात्मिक विकास का एक समग्र मार्ग है। भारत की पुण्य सलिला भूमि अनादिकाल से योग भूमि के रूप में विख्यात रही है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2015 से हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा के बाद लगभग पूरी दुनिया जान चुकी है कि जीवन जीने की कला का नाम योग है। स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा का नाम योग है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध पर सबसे बड़ा दिन होता है। इसी दिन सूर्य अपनी स्थिति बदल कर दक्षिणायन होते हैं। तपस्वियों की गहन तपस्या से यह माटी धन्य है जो अनेक साधना के शिखर पुरुषों की साक्षी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयत्नों से आज भारत आज पूरे विश्व में भारत का योग एक बड़े वैश्विक फलक में उभर कर आया है जो सम्पूर्ण मानवता के लिए एक शुभ संकेत है। योग का अभ्यास जीवन में शांति, संतुलन और आत्म-जागरूकता लाता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां तनाव, चिंता और शारीरिक रोग आम हो गए हैं, योग एक ऐसी कला के रूप में उभरता है जो हमें इन चुनौतियों से निपटने में मदद करता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। योग के आसन शरीर को लचीला बनाते हैं और मांसपेशियों को मजबूत करते हैं।नियमित योग अभ्यास रक्त संचार को बेहतर बनाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और अन्य शारीरिक समस्याओं में योग से राहत मिलती है।प्राणायाम और ध्यान तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद करते हैं। योग के अभ्यास से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। योग आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर सकता है। योगमय जीवन से सभी के मन में सकारात्मकता का संचार किया जा सकता है। योग कोई धार्मिक कर्मकांड नहीं है इसीलिए तो योगः कर्मषु कौशलम् कहा गया है। आज विदेश में योग के प्रति लोगों की रूचि अब बढ़ रही है। इसे घर- घर तक टेलीविजन माध्यम से पहुंचाने में बाबा रामदेव की भी बड़ी भूमिका है। अच्छी बात ये है कि आज तेजी से भागती दौड़ती जिंदगी में सारी दुनिया योग के महत्व को पहचान और जान रही है। योग से न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि मन में सकारात्मकता का संचार होता है। देश के अधिकांश युवा आज आधुनिक जीवन शैली और सोशल मीडिया के दौर में खराब खान पान की आदतों के कारण बहुत कम आयु में ही मधुमेह ,ब्लड प्रेशर, कैंसर, सरवाइकल जैसे रोगों के शिकार हो रहे हैं। उन्हें स्मार्ट फोन की रील्स ने इतना व्यस्त कर दिया है कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतन करने का समय तक नहीं निकाल पा रहे हैं। चलना -फिरना और घूमना भी लोगों का बहुत कम हो गया है और इंसान की जिंदगी ऑनलाइन लाइक्स पर ही मानो टिक गयी है। ऐसे में योग ही है जो सभी का जीवन संवार सकता है। योग मनुष्य को पवित्र बनाता है।योग जीवन का अन्तर्दर्शन कराता है। योग मनुष्य जीवन की विसंगतियों पर नियंत्रण का बेहतरीन माध्यम है। योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। यह हमें न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध करता है। योग के नियमित अभ्यास से हम अपने जीवन में संतुलन, शांति और सकारात्मकता ला सकते हैं। यह एक ऐसा मार्ग है, जो हमें स्वयं से जोड़ता है और हमें जीवन के हर पहलू में उत्कृष्टता प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। यजुर्वेद में की गई पवित्रता-निर्मलता की यह कामना हर योगी के लिए काम्य है कि ‘देवजन मुझे पवित्र करें, मन में सुसंगत बुद्धि मुझे पवित्र करें, विश्व के सभी प्राणी मुझे पवित्र करें, अग्नि मुझे पवित्र करे। इसलिए योग के पथ पर अविराम गति से वही साधक आगे बढ़ सकता है जो चित्त की पवित्रता एवं निर्मलता के प्रति पूर्ण जागरूक हो क्योंकि निर्मल चित्त वाला व्यक्ति ही योग की गहराई तक पहुंच सकता है। योग कोई धार्मिक कर्मकांड न नहीं है इसीलिए तो ‘योगः कर्मषु कौशलम्’ कहा गया है। गीता ‘योग क्षेम वहाम्यहं’ का उद्घोष करती है जिसका अर्थ है- अप्राप्त कोे प्राप्त करना और प्राप्त की रक्षा करना। सद्गुण को बांटना और दुर्गुण को नष्ट करना भारतीय संस्कृति की मूल है। योग कला, विज्ञान और दर्शन है, जो जनता को आत्मानुभूति कराने में मदद करता है। योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना सरल है। सुबह के समय 15-20 मिनट का योग अभ्यास दिन की शुरुआत को ऊर्जावान और सकारात्मक बना सकता है। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति मन को शांत करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त, योग के नैतिक सिद्धांत जैसे अहिंसा, सत्य, और संतोष को अपनाकर हम अपने जीवन को और अधिक अर्थपूर्ण बना सकते हैं।महर्षि पंतजलि के अनुसार, ‘योगश्चित्त वृत्तिनिरोधः’’ अर्थात् चित्त की वृत्तियों को रोकने का नाम योग है। हम सभी को भी अपने चित्त से योग के विरोध की वृत्ति का त्याग कर स्वस्थ,सुदीर्घ जीवन के लिए प्रयास अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर करने चाहिए। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ) ईएमएस / 20 जून 25