राष्ट्रीय
24-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। सरकारी आवास पर भारी मात्रा में अधजली नकदी मिलने के मामले में फंसे हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला मंगलवार को संसद की स्थायी समिति की बैठक में भी उठा। समिति के सदस्यों ने पूछा कि मामले में कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चर्चा के दौरान समिति के सदस्यों ने वीरस्वामी मामले की समीक्षा का सुझाव दिया। इसके अलावा समिति ने जजों के लिए आचार संहिता बनाने और सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद लेने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि के बारे में भी सुझाव दिया। संसदीय समिति ने यह चर्चा उस समय की है, जब अगले महीने संसद के मॉनूसन सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हो रही है। राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (जो एक मनोनीत सांसद हैं), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी विल्सन तथा ए राजा प्रमुख सदस्य हैं। जहां जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने की संभावना है, वहीं विपक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी इसतरह की कार्रवाई के लिए पहले ही नोटिस दे चुका है। राज्यसभा सचिवालय उन सांसदों के हस्ताक्षरों का भी सत्यापन कर रहा है, जिन्होंने जस्टिस यादव के खिलाफ कथित नफरती भाषण को लेकर महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। सचिवालय पहले ही सांसदों को उनके हस्ताक्षरों की पुष्टि के लिए पत्र लिख चुका है। आशीष दुबे / 24 जून 2025