राज्य
24-Jun-2025


मुंबई, (ईएमएस)। महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही थी। राज्य सरकार ने हिंदी भाषा के लिए सकारात्मक रुख अपनाया था। हालांकि, महाराष्ट्र के लोगों ने इस बात की आशंका जताई थी कि मराठी भाषा की पहचान खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए, मराठी समुदाय का राज्य सरकार के पति बढ़ते विरोध को देखते हुए, राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तत्काल प्रभाव से तीसरी भाषा को स्थगित कर दिया है। आपको बता दें कि सरकार ने पहली से पांचवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों में तीसरी भाषा को अनिवार्य करने का फैसला किया था। मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर एक बैठक हुई, जिसमें उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, शिक्षा विभाग के अधिकारी और राज्य के शिक्षा मंत्री दादा भुसे मौजूद थे। इस बैठक के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि भाषा विशेषज्ञों और मराठी भाषा के लेखकों से चर्चा करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा मराठी भाषा को अभिजात्य दर्जा दिए जाने से भाषाई संवेदनशीलता बढ़ी है। इसलिए, तीसरी भाषा का विकल्प अचानक सामने आया है। राज्य सरकार द्वारा हिंदी भाषा को अनिवार्य किए जाने की संभावना है। लेकिन कई लोगों का ये आरोप है कि राज्य में प्रशासनिक स्तर पर हिंदी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भाषा को थोपा जा रहा है। यह भावना मराठी लोगों द्वारा व्यक्त की जा रही है। साथ ही, इस बैठक में, बैंक क्रेडिट के अनुसार नई शैक्षणिक शिक्षा नीति के अनुसार छात्रों को गलतियाँ न हों, इसके लिए सभी के सामने अन्य विकल्प प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है। फडणवीस ने यह भी कहा कि हमें मराठी साहित्य और भाषा विशेषज्ञों की सटीक भूमिका को ध्यान में रखना चाहिए। हालाँकि, अब सरकार के नए सरकारी फैसले (जीआर) में कहा गया है कि हिंदी आम तौर पर तीसरी भाषा होगी। इसलिए, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य सरकार हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के लिए दिए गए अस्थायी स्थगन पर आगे क्या निर्णय लेती है। संजय/संतोष झा- २४ जून/२०२५/ईएमएस