ज़रा हटके
25-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। अपने खास आकार और औषधीय गुणों के कारण बघनखी का पौधा वर्षों से लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बरसात के मौसम में उगने वाला एक अनोखा पौधा बघनखी, जिसे कई क्षेत्रों में बाघनख, बाघनखी, बिच्छू फल या उलट कांटा के नाम से जाना जाता है। इसकी खासियत इसका फल है, जो सूखने के बाद चटकता है और उसमें से काले या भूरे रंग का बीज निकलता है। यह बीज देखने में बाघ के मुड़े हुए नाखून जैसा होता है, इसलिए इसे बाघनख या बघनखी कहा जाता है। इसके पत्ते बड़े, मोटे और रोएंदार होते हैं, और यह पौधा केवल वर्षा ऋतु में ही उगता है तथा सर्दियों के आते-आते स्वत: सूख जाता है। बघनखी का वैज्ञानिक नाम मार्टिनिया एनुआ है और इसे अंग्रेजी में ‘डेविल्स क्लॉ’ कहा जाता है। वर्षों से यह पौधा पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में उपयोग होता आया है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेंट्री, एंटीऑक्सीडेंट और दर्द निवारक तत्वों के कारण यह रूमेटाइड अर्थराइटिस, पीठ के निचले हिस्से का दर्द, गठिया, मधुमेह, अपच और सीने की जलन जैसी समस्याओं में उपयोगी माना जाता है। इसके औषधीय गुणों को लेकर 2022 में नेशनल स्कूल ऑफ लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित शोध में बताया गया कि बघनखी में सूजन रोधी और विषहरण करने की क्षमता भी होती है। इसका उपयोग टॉनिक एजेंट के रूप में भी किया जाता है। इस पौधे का स्थानीय चिकित्सा में उपयोग इसके पत्तों और फलों से तैयार तेल के रूप में किया जाता है। पत्तों को सरसों के तेल में पकाकर जोड़ों के दर्द के लिए बेहद लाभकारी तेल तैयार किया जाता है। इसी प्रकार इसके सूखे फलों को कूटकर भी तेल में पकाया जाता है और यह तेल समय से पहले बाल सफेद होने की समस्या में राहत देता है। वहीं इसकी जड़ों का चूर्ण अश्वगंधा के चूर्ण के साथ मिलाकर यदि सुबह-शाम शहद के साथ सेवन किया जाए, तो यह गठिया रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। हालांकि बघनखी को लेकर कई भ्रांतियां भी फैली हुई हैं। अक्सर लोग इसे हथजोड़ी नामक वनस्पति समझने की भूल कर बैठते हैं, जबकि यह पूरी तरह से गलत है। असल में हथजोड़ी के नाम से पहले जो वस्तु बाजार में बेची जाती थी, वह मॉनिटर लिज़र्ड (गोह) का जननांग था। यह एक गंभीर अपराध था क्योंकि इसके पीछे वन्यजीवों की अवैध तस्करी और हत्या की साजिशें थीं। वैज्ञानिक शोधों और वन विभाग की सख्ती के बाद इसे प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद आज भी कुछ लोग दावा करते हैं कि असली हथजोड़ी हिमालय या विंध्याचल के जंगलों में मिलती है। इस तरह के झूठे दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत दंडनीय अपराध भी है। बघनखी जैसे औषधीय पौधों का महत्व तभी स्थायी रूप से समझा और प्रचारित किया जा सकता है जब उनके वैज्ञानिक तथ्यों को अपनाया जाए और अंधविश्वास तथा झूठे दावों से दूर रहा जाए। सुदामा/ईएमएस 25 जून 2025