25-Jun-2025
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वाराणसी (ईएमएस)। आपातकाल के काले अध्याय की 50वीं बरसी पर भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय” तथा अनैतिक संशोधन से संविधान पर हमला” पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का आयोजन सूचना विभाग द्वारा नगर निगम के सामने स्थित शहीद पार्क में किया गया हैं। जिसका बुधवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या एवं महापौर अशोक तिवारी ने फीता काटकर विधिवत् उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में कुल 50 चित्र किट्स का प्रदर्शन किया गया है। आपातकाल को देश के इतिहास के लिए एक काला अध्याय बताया गया हैं। महापौर अशोक तिवारी ने पिछली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आपातकाल में संविधान की आत्मा को कुचला गया, संसद की आवाज को दबाया गया और न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश की गई। इस चित्र प्रदर्शनी के माध्यम लोग पिछली सरकार द्वारा आपात काल में किए गए अनैतिक कार्यवाही से रुबरु होगे। आपातकाल में संविधान की आत्मा को कुचला गया, संसद की आवाज को दबाया गया और न्यायपालिका पर नियंत्रण की कोशिश की गई। 42वां संशोधन कांग्रेस की इसी सोच का प्रतीक है। गरीबों, वंचितों और दलितों को खास तौर पर निशाना बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की प्रतिज्ञा-लोकतंत्र को मजबूत करने का संकल्प हैं। बता दें कि आज ही के दिन 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। तद्विषयक प्रदर्शनी में “गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार” मई 1976 में करीब 7000 पत्रकारों और मीडिया कर्मियों को गिरफ्तार किया गया, कांग्रेस द्वारा लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय, सत्ता पर संकट आपातकाल की आहट 1971: इंदिरा गांधी पर अदालत में चला चुनावी धांधली का मुकदमा, देश में आर्थिक संकट महंगाई और असंतोष का माहौल, एबीवीपी के नेतृत्व में देशव्यापी छात्र आंदोलन, 12 जून 1975 इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया, 6 साल के लिए चुनाव लड़ने और सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य ठहराया गया, शिक्षा नियंत्रण और चाटुकारिता का दौर, मीडिया पर सत्ता का शिकंजा सच लिखने को जुर्म और सवाल पूछने को बगावत माना गया, प्रेस ऑफिसों की बिजली काटी गई, आपातकाल की खबरें छापने से रोका गया, कठोर प्री-सेंसरशिप लागू: हर प्रकाशन पर सरकारी निगरानी और आपत्तिजनक बताकर प्रतिबंध का असीमित अधिकार, संसदीय कार्यवाही (प्रकाशन-संरक्षण) निरसन अधिनियम से पत्रकारों से छीना संसद की बहसों की स्वतंत्रत रिपोर्टिंग करने का अधिकार, साहसिक विरोध: इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन ने खाली संपादकी छापे, 38वां संशोधन सत्ता को जवाबदेही से मुक्त करने की चाल आपातकाल और राष्ट्रपति के फैसलों को न्यायिक समीक्षा से बाहर किया-घोषित आपातकाल को अंतिम रूप देने का प्रयास, कार्यपालिका को अदालती निगरानी से पूरी तरह मुक्त किया गया, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की न्यायिक रक्षा की संभावना भी खत्म कर दी गई, 39वां संशोधन पद बचाने के लिए संविधान से खिलवाड़ इस संशोधन ने प्रधानमंत्री के चुनाव को न्यायिक समीक्षा से बाहर किया, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को पलट कर इंदिरा गांधी का चुनाव बचाने के लिए रातों-रात पारित किया गया संशोधन, 40 वां संशोधन संशोधनों पर सत्ता का नियंत्रण सरकार को भूमि अधिग्रहण और प्राकृतिक संशोधनों पर पूर्ण अधिकार दे दिए गए, भूमि संबंधित मामलों में अदालतों की भूमिका सीमित कर दी गई, नागरिकों की संपत्ति की अधिकार पर आघात, 41वां संशोधन प्रशासनिक ढांचे में चट्टुकारों की सेंध सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ी- लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों/सदस्यों की उम्र 60 वर्ष से बढ़कर 62 की गई, सरकार को वफादार अधिकारियों को 2 साल और पद पर बनाए रखने का अधिकार मिला। बाबासाहेब की इच्छा के विरुद्ध समाजवादी और पंथनिरपेक्ष जैसे शब्द प्रस्तावना में जोड़े गए, राज्यों की ताकत घटाकर सत्ता का केंद्रीयकरण किया गया, जिससे संघीय ढांचा कमजोर हुआ, कैद में कक्षा जब शिक्षा बनी विचार बंदी का औजार कांग्रेस विरोधी संवेदनशील विषयों पर चर्चा, लेखन पर रोक, शिक्षकों को चेतावनी, कांग्रेस ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए शिक्षा को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया, स्कूली छात्रों पर भी कार्यवाही उड़ीसा में 9वीं-10वीं के बच्चे 5 महीने जेल में रहे, पाठ्यक्रम बना कांग्रेस का प्रचार माध्यम, प्रख्यात कलाकार किशोर कुमार ने कांग्रेस सरकार के प्रचार में गाने से मना किया तो उनके गानों पर बैन लगा दिया गया, आदि विषयक चित्र किट्स प्रदर्शित किया गया हैं। उद्घाटन अवसर परसुशुवाही के सुरेश पटेल उर्फ़ गुड्डू पटेल समेत सभासदगण के अलावा अपर जिलाधिकारी नगर आलोक कुमार वर्मा, सहायक निदेशक सूचना सुरेन्द्र पाल सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे। डॉ नरसिंह राम/ईएमएस/25/06/2025