क्षेत्रीय
25-Jun-2025
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रायपुर,(ईएमएस)। भाजपा नेताओं द्वारा अपातकाल के संदर्भ में दिये गये बयान का कांग्रेस ने कड़ा प्रतिवाद किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि दरअसल समूची भाजपा इस समय खुद मोदी और शाह की तानाशाही के सामने डरी और सहमी हुई है। इसीलिये भाजपा नेताओं को देश की असली हकीकत नहीं दिख रही हैं। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता बिना मोदी-शाह की सहमति से एक शब्द नहीं बोल सकते। छत्तीसगढ़ के निर्वाचित सांसद छत्तीसगढ़ के जनप्रतिनिधि अपने राज्य की जनता किसानों के हित में एक शब्द बोलने की हिम्मत नहीं रखते। धान की कीमत राज्य को खाद की आपूर्ति जैसे मसलों पर छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता कुछ नहीं बोल पाते, उन्हें डर रहता है मोदी-शाह नाराज हो जायेंगे। राज्य सरकार बिना मोदी, शाह की सहमति से एक भी निर्णय नहीं ले सकती है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों और जनादेश को धन बल के सहारे तथा राजभवनों से संविधानेत्तर हस्तक्षेप करवा कर सरकारों को हड़पने की भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार के अघोषित आपातकाल के सबसे बड़े उदाहरण है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आपातकाल देश की तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार उठाया गया संवैधानिक कदम था। संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत तत्कालीन केंद्र सरकार ने आपातकाल लगाया था। आपातकाल को देश की संसद की मंजूरी के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा लगाया गया था। वर्तमान में भाजपा की केन्द्र सरकार तो पूरे देश में अघोषित और संविधानेतर आपातकाल लगा कर रखी है। असहमति के स्वर को दबाने के लिये केंद्रीय जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी का धौंस विपक्ष के नेताओं को दिखाया जाता है। देश की महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं की स्वात्यता को नष्ट कर दिया गया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि देश की सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायधीशों को अपनी बात कहने मीडिया और देश की जनता के सामने आना पड़ा। चुनाव आयोग की निष्पक्षता संदिग्ध हो गयी। समाचार माध्यमों की स्वतंत्रता लगभग समाप्त की दी गयी। मोदी सरकार की मंशा और यशोगान समाचार चैनलों पर जबरिया थोपा गया एजेंडा बन गया है। देश के किसानों को 8 महिने से अधिक समय तक आंदोलन करना पड़ा, सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थी। इससे बड़ा अलोकतांत्रिक कदम और आपातकाल क्या हो सकता है कि प्रजातंत्र की सबसे बड़ी पंचायत संसद के उच्च सदन में बिना बहस विधेयक पारित करवा दिया जाता है। सत्यप्रकाश/किसुन/25 जून 2025