25-Jun-2025
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भारतीय संविधान सर्वोच्च है इसके विरुद्ध कोई नहीं जा सकता लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे काले दौर का स्मरण कराता है आपातकाल भोपाल(ईएमएस)। आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संविधान हत्या दिवस पर स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित व्याख्यान समारोह में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक पांडे, वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष डाॅ.भरत शरण सिंह, एलएनसीटी विश्वविद्यालय के सचिव डाॅ.अनुपम चैकसे, वाइस चांसलर डाॅ.नरेन्द्र थापक, स्वराज संस्थान संचालनालय के उप संचालक संतोष वर्मा सहित अनेक अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, युवा सम्मिलित हुए। इसी अवसर पर संविधान हत्या दिवस की स्मृति में भारत सरकार द्वारा निर्मित चित्र प्रदर्शनी और फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे काले दौर का स्मरण कराते आपातकाल की पृष्ठभूमि और शासनकाल पर प्रकाश डालते हुए रमेश शर्मा ने बताया कि किस तरह 25 और 26 जून 1975 की रात्रि को मंत्रिमंडल के हस्ताक्षर के बिना ही तत्कालीन राष्ट्रपति से हस्ताक्षर लेकर आपातकाल की घोषणा कर दी गयी। 26 जून का परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ था प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया सुबह भारत के किसी पाठक के हाथ में समाचार-पत्र नहीं पहुंचा। लाखों लोगों के घरों पर छापे मारकर निर्दोष लोगों को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया गया और उन पर असहनीय अत्याचार किये गये। आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अत्यंत संघर्ष किया। युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि देश और समाज के लोगों को एकजुट होकर रहना चाहिए। भारत में जन्म और जाति के आधार पर नहीं व्यक्तित्व के आधार पर सम्मान किया जाता है। अशोक पाण्डेय ने बताया कि संविधान में क्या व्यवस्थाएं हैं और कब आपातकाल लगाना चाहिए। 1975 में सभी नियमों को ताक पर रखकर आपातकाल लगाया गया। निजी स्वार्थों के लिए संविधान में अनेक संशोधन कर तानाशाही को जन्म दिया। 1975 में अनेक लोगों के साथ अत्यंत अमानवीय व्यवहार किये गये और लोगों को अतुलनीय शारीरिक पीड़ाएं दी गईं। भारतीय संविधान सर्वोच्च है इसके विरुद्ध कोई नहीं जा सकता। भारतीय संविधान के सम्बन्ध में बहुत कम लोगों को जानकारी है इसके बारे में आज के युवाओं को अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है। डॉ. भरत शरण सिंह ने एक रोचक कथा के माध्यम से अपनी बात रखी जिसमें एक साधु गांव वालों को किस तरह उनकी अपनी शक्ति का आभास करवाता है। कथा के माध्यम से बताया कि शक्ति हमारे भीतर ही है इसे पहचानकर शोषण और अनाचार का अंत किया जा सकता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे 2047 के विकसित भारत के निर्माण में अपनी शक्ति लगाएं। डॉ. नरेन्द्र थापक ने स्वागत उद्बोधन करते हुए बताया कि आपातकाल लागू होना भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे काले दौर का स्मरण कराता है। न जाने ऐसे कितने लोग हैं जो इतिहास में अंकित नहीं हैं जिन्हें भारत से बाहर जाना पड़ा और कभी लौटकर नहीं आए लेकिन इसके बाद भी वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए जी-जान से जुड़े रहे। आपाताकाल के दौरान लोगों ने अपनी कलम और लेखनी के माध्यम से आज़ादी की अलख जगायी थी। अंत में डॉ.अनुपम चैकसे ने आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए समारोह में आए श्रोताओं और अतिथिगणों का आभार प्रकट किया। कृपया उक्त समाचार अपने प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें। हरि प्रसाद पाल / 25 जून, 2025