आरोन पुलिस पर लीपापोती का आरोप, एसपी ऑफिस पहुंचा पीडि़त परिवार गुना (ईएमएस)। जिले के आरोन थाना क्षेत्र के ग्राम बकान में जमीनी विवाद को लेकर हुई मारपीट की घटना में कैंसर और पैरालिसिस से पीडि़त वृद्ध बांकेलाल धाकड़ को गंभीर चोटें आई हैं। घटना में एसपी ऑफिस गुना में पदस्थ प्रधान आरक्षक रणधीर सिंह धाकड़ सहित तीन लोगों द्वारा हमला किया गया, जिसमें पिता-पुत्र दोनों घायल हो गए। पीडि़त पक्ष ने आरोन पुलिस द्वारा मामूली धाराओं में केस दर्ज करने को लेकर नाराजगी जताई है और उचित कार्रवाई की मांग की है। घटना बुधवार शाम करीब 6 बजे की है। फरियादी गोविंद धाकड़ निवासी ग्राम बकान ने बताया कि वह अपने पिता के हिस्से की जमीन पर ट्रैक्टर से जुताई कर रहा था, तभी उसके चाचा रणधीर सिंह धाकड़ प्रधान आरक्षक, गुना एसपी ऑफिस, शैतान सिंह और छतर सिंह वहां पहुंचे और जुताई को लेकर विवाद करने लगे। जब गोविंद ने समझाया कि वह अपने हिस्से की जमीन पर कार्य कर रहा है, तो तीनों ने गाली-गलौज शुरू कर दी। मना करने पर रणधीर सिंह ने गोविंद के माथे और कलाई पर लाठियों से हमला कर दिया, जिससे खून बहने लगा। घटना की सूचना पर गोविंद के पिता बांकेलाल और भाई देवेंद्र वहां पहुंचे तो आरोपियों ने उन्हें भी निशाना बनाया। प्रधान आरक्षक रणधीर सिंह द्वारा बांकेलाल के सिर पर लाठी से प्रहार किया गया, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई और 10 से 11 टांके लगाने पड़े। वृद्ध होने के साथ-साथ बांकेलाल कैंसर और लकवे के मरीज हैं। इसके बावजूद उन पर निर्ममता से हमला किया गया। घटना की रिपोर्ट घायल अवस्था में ही गोविंद ने अपने पिता के साथ आरोन थाने पहुंचकर दी, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने गंभीर धाराओं की बजाय केवल बीएनएस की धारा 296, 115(2), 118(1), 351(3) व 3(5) के तहत मामूली मामला दर्ज कर खानापूर्ति कर दी। इससे पीडि़त पक्ष गहरी नाराजगी जता रहा है। पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई नहीं होते देख गुरूवार को पीडि़त परिवार एसपी कार्यालय पहुंचा। यहां न्याय दिलाने की गुहार लगाते हुए आवेदन सौंपा। परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से मामले की निष्पक्ष जांच और आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, गंभीर रूप से घायल बांकेलाल को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बारे में परिवार का कहना है कि आरोपी के पुलिसकर्मी होने के कारण उसे संरक्षण मिल रहा है। अगर कानून के रक्षक ही इस तरह आमजनों पर हमला करेंगे, तो फिर न्याय कौन देगा? पीडि़त परिवार ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं हुई तो वे उच्च न्यायालय और मानवाधिकार आयोग तक जाएंगे।- सीताराम नाटानी (ईएमएस)