नई दिल्ली (ईएमएस)। हर दवा की पैकेजिंग पर निर्माता कंपनी द्वारा तय की गई एक्सपायरी डेट लिखी होती है, जिसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। माना जाता है कि तय तारीख के बाद दवाओं की प्रभावशीलता घटने लगती है और इनमें रासायनिक बदलाव आने लगते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि दवा एक्सपायर होते ही जहरीली हो जाए, लेकिन ऐसी दवाओं के सेवन से तबीयत बिगड़ने की आशंका काफी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि दवाएं एक्सपायरी के बाद धीरे-धीरे डिग्रेड होने लगती हैं। इनमें मौजूद एक्टिव कंपाउंड कमजोर हो जाते हैं या पूरी तरह निष्क्रिय हो सकते हैं। इससे दवा शरीर पर असर नहीं करती, जिससे बीमारी ठीक होने में देरी हो सकती है या इलाज पूरी तरह से फेल हो सकता है। कुछ मामलों में रासायनिक बदलावों के कारण एक्सपायर्ड दवाएं जहरीली भी हो सकती हैं, जो लिवर, किडनी या पाचन तंत्र को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं। सबसे ज्यादा खतरा एंटीबायोटिक्स, दिल की दवाओं और डायबिटीज से जुड़ी दवाओं में देखा जाता है। ये दवाएं यदि समय से पहले असर खो दें या उलटा असर दिखाने लगें, तो मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर इसका प्रभाव और भी घातक हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति गलती से एक्सपायर्ड दवा का सेवन कर ले और उसे उल्टी, चक्कर, एलर्जी या सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कतें होने लगें, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। दवाओं की एक्सपायरी डेट को लेकर लापरवाही अक्सर उस समय होती है जब लोग घर में जमा पुरानी दवाएं बिना जांच के इस्तेमाल कर लेते हैं। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि समय-समय पर घर में मौजूद दवाओं की जांच कर उन्हें छांटते रहना चाहिए। जो दवाएं एक्सपायर हो चुकी हैं, उन्हें तुरंत सुरक्षित तरीके से नष्ट कर देना चाहिए, ताकि गलती से भी उनका उपयोग न हो सके। इसके साथ ही दवाओं को सही तरीके से स्टोर करना भी जरूरी है। सभी दवाओं को ठंडी और सूखी जगह पर रखना चाहिए। कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जिन्हें फ्रिज में रखना आवश्यक होता है। दवा की बोतल या पैकेट पर स्टोरेज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी लिखी होती है, जिसका पालन करना बेहद जरूरी है। दवा की शीशी को कभी खुला न छोड़ें और उन्हें हमेशा मूल पैकेजिंग में ही रखें, ताकि नमी या अन्य बाहरी तत्वों का असर न हो। स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी सी लापरवाही भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। सुदामा/ईएमएस 27 जून 2025