राष्ट्रीय
27-Jun-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। आपातकाल पर खूब राजनीति हुई। आज 50 साल बीतने के बाद इस पर बयानबाजी हो रही है। इमर्जेंसी लगाने से पहले 24 जून 1975 की दोपहर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति भवन और विधि मंत्रालय से संविधान की मूल प्रति मंगवाई। वह सुनिश्चित करना चाहती थीं कि संविधान के किस प्रावधान के जरिए इमर्जेंसी लगाई जा सकती है। उनके सलाहकार बता चुके थे कि भारतीय संविधान में आपातकाल लगाने का एक लचीला सा प्रावधान है। अब इसे देखकर खुद आश्वस्त होना चाहती थीं। संविधान की मूल प्रति आई। उन्होंने पन्ने खोले। नजरें आर्टिकल 352 पर आकर टिक गईं। इंदिरा गांधी के सलाहकारों ने उन्हें संविधान का यही आर्टिकल पढ़ने के लिए कहा। ये था – आर्टिकल 352। यही वो प्रावधान था, जिसने 25 जून 1975 के दिन भारत का भाग्य तय किया। उसे देखने के बाद वह आश्वस्त हो गईं। उन्होंने अपने सलाहकारों को इस प्रावधान को पारिभाषित करने के लिए कहा, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली बगैर हिचकिचाहट आपातकाल के आदेश पर दस्तखत कर सकें। आर्टिकल 352 के जरिए इंदिरा गांधी को ऐसा संवैधानिक हथियार हासिल हो रहा था, जिसके जरिए वो राष्ट्रपति से आपातकाल की घोषणा पर दस्तखत करा सकती थीं। फिर 25 जून 1975 की देर रात राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से अनुच्छेद 352 के तहत ही आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर कराया गया। आधिकारिक वजह दी गई, “देश में आंतरिक अशांति और अस्थिरता, विपक्ष द्वारा सरकार गिराने की साजिश और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा। राष्ट्रपति के दस्तख़त के साथ ही देश में नागरिक स्वतंत्रताएं, प्रेस की आज़ादी और न्यायिक निगरानी स्थगित हो गईं। संविधान के अनुच्छेद 352 में कहा गया था कि देश में ‘आंतरिक अशांति’ की स्थितियों में आपातकाल लगाया जा सकता है। ये अनुच्छेद कहता है कि अगर राष्ट्रपति को लगता है कि भारत की सुरक्षा पर आंतरिक अशांति, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से ख़तरा है, तो आपातकाल घोषित किया जा सकता है। तब ‘आंतरिक अशांति’ यानि इंटरनल डिस्टर्बेंस शब्द का मतलब बहुत लचीला था। इसका मतलब युद्ध या सशस्त्र विद्रोह जैसा साफ़ परिभाषित नहीं था। अगर इंदिरा गांधी उस दिन संविधान की प्रति मंगाकर अनुच्छेद 356 (राज्य सरकारों का निलंबन) या अनुच्छेद 360 (आर्थिक आपातकाल) देखतीं तो उन्हें ऐसा अधिकार नहीं मिलता। अनुच्छेद 352 ही ऐसा अनुच्छेद था जिसमें आंतरिक स्थिति का हवाला देकर केंद्र सरकार पूरे देश में सीधे शासन कर सकती थीं। वीरेंद्र/ईएमएस/27जून2025