वॉशिंगटन(ईएमएस)। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान देकर दुनिया को चौंका दिया। ईरान और इजरायल के बीच 13 जून को शुरू हुए युद्ध के बाद से वह अंडरग्राउंड बंकर में छिपे थे। अब जब युद्धविराम हो चुका है, तो खामेनेई ने इसे ‘ईरान की जीत’ बताते हुए सीधे अमेरिका पर हमला बोला। उन्होंने कहा, अमेरिका इजरायल को बचाने युद्ध में कूदा था, लेकिन कुछ भी हासिल नहीं कर पाया। इस बीच, ट्रंप प्रशासन के भीतर एक अलग ही कूटनीतिक कवायद चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने ईरान को 30 अरब डॉलर की निवेश सहायता का प्रस्ताव दिया है शर्त ये है कि ईरान यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह बंद कर दे। बदले में उसे एक नागरिक न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम दिया जाएगा, जिसकी फंडिंग अरब खाड़ी देशों से कराई जाएगी। यह बैठक वॉशिंगटन में अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ की अगुआई में हुई, ठीक उस दिन के अगले दिन जब अमेरिका ने ईरानी परमाणु ठिकानों पर मिसाइलें बरसाईं। वहीं ईरानी विदेश मंत्री अरघची ने एक बयान में साफ किया कि ईरान को अपने न्यूक्लियर स्थलों पर काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि कतर की जमीन पर मौजूद अमेरिकी बेस पर हमला करने के बाद जब अरब देशों ने उसकी निंदा की, तो ईरान ने भी बयान में अपना समर्थन जोड़ने को कहा, क्योंकि ईरान कतर का समर्थन करता है। वहीं दूसरी ओर, लीबिया में बाब बिन गशीर इलाके के पास हालात बेकाबू हो गए। अल-इत्तिहाद समर्थकों ने कई स्थानों पर आगजनी की और सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज़ हो गए। वीरेंद्र/ईएमएस/27जून2025