राज्य
27-Jun-2025
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- नई लहर में महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित भोपाल (ईएमएस)। मप्र में गुरुवार को कोरोना से इस साल की छठी मौत हुई है। 50 साल की महिला कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी। उसे सेप्टिक शॉक, किडनी की परेशानी, हाई ब्लड प्रेशर, कोरोना संक्रमण, फेफड़ों में सूजन, फेफड़ों में हवा भरना (न्यूमोथोरैक्स), एसिड बढऩा (एसिडोसिस) और दिमाग की समस्या (एन्सेफेलोपैथी) थी। इन सभी कारणों से उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई और आखिरकार उसकी मौत हो गई। इस साल कोरोना से जितनी भी मौतें हुई हैं, वे सभी महिलाएं थीं। एम्स भोपाल की जीनोमिक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में इस समय कोरोना का एक्सएफजी वेरिएंट सक्रिय है। जून के तीसरे सप्ताह में मिले पॉजिटिव मरीजों में यही वेरिएंट पाया गया है। मई माह में एलएफ.7 वेरिएंट सक्रिय था। एम्स ने सोमवार शाम 6 बजे अपनी आधिकारिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें प्रदेशभर से आए संक्रमित मरीजों के सैंपल शामिल थे। इनकी टेस्टिंग लगभग 15 दिन तक चली। अब सिर्फ एक्सएफजी वेरिएंट एक्टिव रिपोर्ट के अनुसार, एक्सएफजी वेरिएंट की शुरुआत मई के अंतिम सप्ताह में हुई थी। जून के पहले और दूसरे सप्ताह में यह तेजी से फैला और अब जून के तीसरे सप्ताह तक प्रदेश में एकमात्र सक्रिय वेरिएंट बन गया है। वहीं, एलएफ.7 जो पहले मई में प्रमुख था, जो मई के अंतिम सप्ताह में 50 प्रतिशत सैंपलों में मौजूद था, जून के दौरान धीरे-धीरे कमजोर होता गया और जून के तीसरे सप्ताह तक पूरी तरह समाप्त हो गया। वैक्सीनेटेड लोग भी हो रहे संक्रमित रिपोर्ट में बताया गया है कि एक्सएफजी और एलएफ.7 वेरिएंट में कुछ ऐसे म्यूटेशन हैं, जो टीका लगवा चुके लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि, इनके लक्षण हल्के होते हैं और कई मरीजों में कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए। यही कारण है कि डब्ल्यूएचओ ने इन्हें चिंता के वेरिएंट नहीं माना है, बल्कि निगरानी के वेरिएंट के रूप में सूचीबद्ध किया है। हर वैरिएंट पर एम्स की नजर एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा, हमारी वायरोलॉजी लैब हर नए वेरिएंट की समय पर पहचान के लिए लगातार काम कर रही है। यह केवल एक शोध प्रक्रिया नहीं, बल्कि महामारी से निपटने की रणनीति का अहम हिस्सा है। हम प्रदेश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को तैयार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एम्स का मानना है कि राज्य और आसपास के क्षेत्रों में सार्स-सीओवी-2 की जीनोमिक सीक्वेंसिंग को एक नियमित और प्राथमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्य के रूप में अपनाना चाहिए। इससे भविष्य के संक्रमणों की समय रहते चेतावनी, तेजी से प्रतिक्रिया और बेहतर तैयारी संभव हो सकेगी। विनोद / 27 जून 25