राज्य
28-Jun-2025


जबलपुर, (ईएमएस)। केंद्र सरकार द्वारा कैंट क्षेत्रों के सिविल हिस्सों को निकटवर्ती नगर निकायों को सौंपने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इस पहल के बीच, सेना ने जबलपुर कैंट के ओल्ड ग्रांट बंगलों और उनसे जुड़ी जमीनों की गहन जांच-पड़ताल शुरू कर दी है। सुरक्षा की दृष्टि से शुरू किए गए इस सर्वेक्षण के जरिए सेना न सिर्फ संपत्ति की स्थिति का मूल्यांकन कर रही है, बल्कि अतिक्रमण और अवैध कब्जों पर भी नजर रख रही है। आर्मी स्टेशन सेल के नेतृत्व में चल रहे इस ऑडिट अभियान में डिफेंस एस्टेट ऑफिस , मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस और कैंट बोर्ड के अधिकारी भी शामिल हैं। संभावित विवाद की स्थिति में पुलिस बल भी तैनात रहेगा। यह पहला मौका है जब सेना ने कैंट क्षेत्र के बंगलों की स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण करने का निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार जबलपुर कैंट क्षेत्र में करीब 29 ओल्ड ग्रांट बंगले हैं, जिनमें से अधिकांश में सिविल लोग रह रहे हैं। कुछ बंगले जर्जर अवस्था में हैं या फिर पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। इनमें से कुछ को सेना पहले ही अपने अधीन ले चुकी है, जबकि कई में अभी भी पुराने ग्रांटधारक या उनके परिवार निवासरत हैं। अवैध निर्माण और कब्जे की होगी जांच....... सर्वे के दौरान टीम प्रत्येक बंगले में रह रहे परिवारों की पहचान करेगी, उनके दस्तावेज (जैसे आधार कार्ड) की जांच की जाएगी और यह देखा जाएगा कि कहीं अवैध निर्माण या सब-लेटिंग तो नहीं की गई है। पूरी कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाएगी। इसके अतिरिक्त, MES और कैंट बोर्ड की टीम ज़मीन के सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार नपाई करेगी ताकि यह पता चल सके कि कोई अतिक्रमण तो नहीं हुआ है। प्लाटिंग कर बेच दी गई जमीनें अब जांच के घेरे में... एक बड़ी चिंता की बात यह है कि कैंट क्षेत्र के कई बंगलों की खुली जमीनें कथित तौर पर अवैध रूप से प्लाटिंग कर बेच दी गई हैं। सर्वे में यह भी उजागर किया जाएगा कि किसने किस हैसियत से जमीन पर कब्जा किया या निवास किया है। खास बात यह है कि इन लेनदेन में महज़ सौ-सौ रुपए के स्टांप पेपर का उपयोग किया गया है, जिससे अब जमीन बेचने वालों में खलबली मची है। सुनील साहू / शहबाज / 28 जून 2025/ 05.28