29-Jun-2025
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-दुनिया में युद्ध और तनाव के चलते विशेषज्ञों ने दी चेतावनी नई दिल्ली,(ईएमएस)। रुस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-ईरान तनाव और वैश्विक अस्थिरता से दुनिया जूझ रही है। वहीं परमाणु हथियारों की होड़ मची है। वैज्ञानिक और सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि यह रफ्तार जारी रही तो मानवता फिर से उसी विनाशकारी दौर में पहुंच जाएगी, जहां सिर्फ एक बटन बदते ही पूरी दुनिया तबाह हो जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 की शुरुआत तक दुनिया में कुल 12,241 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से करीब 9,600 हथियार सक्रिय सैन्य स्टॉक में हैं यानी किसी भी वक्त इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इन हथियारों में से ज्यादातर अमेरिका और रूस के पास हैं, जो मिलकर दुनिया के 87 फीसदी परमाणु जखीरे पर नियंत्रण रखते हैं। इनके अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इजराइल जैसे देश भी इसमें शामिल हैं। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इन हथियारों में से कई ऐसे ठिकानों पर रखे गए हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। ये अंडरग्राउंड बंकरों, गुप्त सैन्य ठिकानों और समुद्र के नीचे तैनात परमाणु पनडुब्बियों में लगातार सक्रिय हैं और इनकी निगरानी गोपनीय तरीके से की जा रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने अपने कई परमाणु हथियार न केवल खुद की धरती पर बल्कि यूरोप के कई देशों जैसे जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड, इटली और तुर्की में भी तैनात कर रखे हैं। ये हथियार आम तौर पर दिखाई नहीं देते, क्योंकि इन्हें एयरबेस के नीचे बने बंकरों में रखा गया है। वहीं रूस ने हाल ही में बेलारूस में टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार तैनात करने की बात कही थी, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशों का परमाणु नेटवर्क तो पूरी तरह गोपनीय है, जिससे इनके इरादों का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। इजराइल ने भी रहस्यमयी ढंग से इन्हें छिपा रखा है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जिसने न तो अपने पास परमाणु हथियार होने की पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इजराइल के पास करीब 90 परमाणु हथियार हैं, जो नेगेव रेगिस्तान, डिमोना परमाणु केंद्र और अन्य अज्ञात जगहों पर छिपा कर रखे गए हैं। इसे रणनीतिक अस्पष्टता कहा जाता है, जिससे दुश्मनों को भ्रम में रखा जाता है। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया एक बार फिर उसी परमाणु युग में लौट रही है, जो कभी 1960 और 70 के दशक में देखा गया था। फर्क सिर्फ इतना है कि अब ये हथियार छोटे, स्मार्ट और कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अब परमाणु हथियार डर पैदा करने की बजाय असुरक्षा की भावना को जन्म दे रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या हम फिर से उस खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहे हैं जहां एक गलती पूरी मानवता के विनाश का कारण बन सकती है? सिराज/ईएमएस 29 जून 2025