पुरी(ईएमएस)। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान भारी भीड़ जुटी। लाखों भक्त इस यात्रा में शामिल हुए। एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में कुछ लोग गिर पड़े, इसी दौरान भगदड़ मच गई और तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हैं। हादसा सुबह करीब 4:30 बजे हुआ, जब भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को ले जा रहे तीन रथ जगन्नाथ मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर श्री गुंडिचा मंदिर के पास थे। रथों को शुक्रवार शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंचना था, लेकिन भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ के एक मोड़ पर अटकने के कारण रथों को ग्रांड रोड पर रोकना पड़ा। इससे अन्य दो रथ भी आगे नहीं बढ़ सके। हालांकि, पहांदी जैसे अधिकांश अनुष्ठान जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के निर्धारित समय पर पूरे हुए, लेकिन रथ खींचने में काफी देरी हुई, जिससे भक्तों में नाराजगी देखी गई। भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ (तलध्वज और दर्पदलन) बीच रास्ते में रुक गए, जबकि भगवान जगन्नाथ का रथ (नंदीघोष) सिंहद्वार से थोड़ा आगे बढ़कर रुक गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, गुंडिचा मंदिर के पास भारी भीड़ दर्शन के लिए जुटी थी। भीड़ बढ़ने पर कुछ लोग गिर गए, जिससे भगदड़ शुरू हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में दो महिलाएं- प्रभाती दास और बसंती साहू शामिल हैं। इसके अलावा, 70 वर्षीय प्रेमकांत मोहंती की भी मौत हुई है। ये तीनों खुरदा जिले के रहने वाले थे और रथ यात्रा के लिए पुरी आए थे। कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को कहा कि सभी अनुष्ठान समय पर पूरे होने के बाद दोपहर 4 बजे रथ खींचना शुरू हुआ था, लेकिन बदा दांडा (ग्रांड रोड) के प्रमुख मोड़ों पर समस्याओं और पिछले वर्षों की तुलना में 1.5 गुना अधिक भक्तों की भीड़ के कारण व्यवधान हुआ। उन्होंने कहा, इस साल अनुकूल मौसम के कारण भक्तों की संख्या अधिक थी, जिससे भीड़ को नियंत्रित करना और चुनौतीपूर्ण हो गया। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों वाले तीन भव्य रथों को भारी भीड़ द्वारा खींचा जाता है। ये रथ गुंडिचा मंदिर तक ले जाए जाते हैं, जहां तीनों देवता एक सप्ताह तक रहते हैं और फिर जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। प्रशासन के अनुसार, रथ यात्रा के पहले दिन शुक्रवार को ही 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पुरी पहुंचे थे, जिससे अपार भीड़ का दबाव बना रहा। देवी सुभद्रा के रथ के पास शुक्रवार देर शाम तक 625 से अधिक लोग बीमार हो गए थे। शनिवार को भीड़ में 10–20 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, फिर भी पिछले 24 घंटे में 650 से अधिक श्रद्धालु अस्वस्थ हो गए। इनमें से 70 को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिनमें से नौ की हालत गंभीर बनी हुई है। भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ शनिवार को श्री गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। यह मंदिर जगन्नाथजी की मौसी का घर माना जाता है, जहां तीनों देवता हर साल नौ दिनों के लिए जाते हैं। मंदिर, 12वीं सदी के श्रीमंदिर से लगभग 2.6 किलोमीटर दूर स्थित है। शुक्रवार को भारी भक्ति और उल्लास के बीच भगवान बलभद्र के ‘तालध्वज’ रथ ने शाम 4:08 बजे सबसे पहले यात्रा शुरू की। इसके बाद देवी सुभद्रा का ‘दर्पदलन’ और अंत में भगवान जगन्नाथ का ‘नंदिघोष’ रथ खींचा गया। पुरी के गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने परंपरा अनुसार ‘छेरा पहंरा’ (रथों की सफाई) की रस्म अदा की। रथों पर रंग-बिरंगे लकड़ी के घोड़े लगाए गए थे, और भक्तों ने मंत्रोच्चार व ढोल-नगाड़ों के बीच रथ खींचा। पुरी शहर को अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था में तब्दील कर दिया गया है। 15 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए करीब 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। वीरेंद्र/ईएमएस/29 जून 2025