नई दिल्ली (ईएमएस)। कई लोग सोचते हैं कि बारिश में गाडी चलाते समय इमरजेंसी इंडिकेटर ऑन करने से ड्राइविंग सुरक्षित हो जाएगी, लेकिन सच में ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है। बारिश में गाड़ी चलाना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि पानी गिरने से सड़क पर विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है। दरअसल, इमरजेंसी इंडिकेटर का असली इस्तेमाल कुछ और परिस्थितियों के लिए होता है। पहले के समय में जब गाड़ियों की हेडलाइट्स कमजोर होती थीं, लोग बारिश या धुंध में चारों इंडिकेटर जलाकर दूसरों को अपनी उपस्थिति का संकेत देते थे ताकि हादसा न हो। लेकिन अब ज्यादातर गाड़ियों में पावरफुल एलईडी हेडलाइट्स होती हैं, जो तेज बारिश में भी दूर से साफ दिखाई देती हैं। इसलिए अब इमरजेंसी इंडिकेटर की जगह ड्राइवर फॉग लाइट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। फॉग लाइट्स सड़क के नजदीकी हिस्से को रोशन कर विजिबिलिटी बढ़ाती हैं और सामने से आ रही गाड़ियों को भी आपकी मौजूदगी का पता चलता है। सबसे बड़ा नुकसान इमरजेंसी इंडिकेटर के गलत इस्तेमाल का यह होता है कि जब आप इन्हें ऑन रखते हैं तो मोड़ काटते वक्त साइड इंडिकेटर का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाते। इससे पीछे या सामने से आने वाले ड्राइवर कंफ्यूज हो जाते हैं और टर्न का अंदाजा न लगने पर टक्कर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर सामने वाली गाड़ी ने भी इमरजेंसी इंडिकेटर ऑन किया हुआ हो तो आपको भी यह समझने में दिक्कत होगी कि वह मुड़ने वाली है या नहीं। इमरजेंसी इंडिकेटर का सही इस्तेमाल तब होता है जब आपकी गाड़ी खराब हो जाए और आपको सड़क किनारे रोकनी पड़े, खासकर रात के समय। ऐसे हालात में ये इंडिकेटर दूसरों को अलर्ट करते हैं कि आपकी गाड़ी खड़ी है, ताकि पीछे से आने वाली गाड़ियां समय रहते रुक या धीमी हो जाएं। सुदामा/ईएमएस 30 जून 2025