- राजनीतिक हलकों में हलचल - मानसून सत्र में एक नया विवाद हुआ शुरू - अशोक स्तंभ की जगह सेनगोल का इस्तेमाल मुंबई (ईएमएस): महाराष्ट्र विधानसभा के आज से शुरू हो रहे मानसून सत्र की पृष्ठभूमि में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस बार सत्र के लिए पत्रकारों और अन्य लोगों को जारी किए गए आधिकारिक पहचान पत्रों से राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ गायब हो गया है। अशोक स्तंभ रहित इस पहचान पत्र पर केवल विधानसभा या विधान परिषद लिखा हुआ है। पिछले सभी सत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों के आधिकारिक दस्तावेजों की तरह पहचान पत्र पर भी अशोक स्तंभ होता था। हालांकि, इस बार इसके न होने से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। यह घटना कुछ दिन पहले आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम की याद दिलाती है। उस कार्यक्रम के बैनर में भी अशोक स्तंभ की जगह राजदंड का प्रतीकात्मक चिह्न सेनगोल इस्तेमाल किया गया था। विपक्ष ने सत्तारूढ़ पार्टी पर संवैधानिक प्रतीकों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। अब जब विधानसभा सत्र के पहचान पत्र से भी अशोक स्तंभ हटा दिया गया है, तो इस आरोप ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि यह हिंदुत्व एजेंडे की प्रतीकात्मक राजनीति है। इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। अशोक स्तंभ भारतीय गणतंत्र का प्रतीक है। इसे अचानक हटाने का मतलब संवैधानिक मूल्यों से खिलवाड़ करना है। इस बीच, सरकार की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर कुछ विज्ञापन प्रकाशित किए थे। इसके अलावा राज्य सरकार ने मुंबई में भी एक कार्यक्रम आयोजित किया था। हालांकि, इस कार्यक्रम में अशोक स्तंभ की जगह प्रतीक चिह्न सेनगोल रखा गया था। इस पर राज्य में तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गई थी। कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्दों को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि ये दोनों शब्द आपातकाल के दौरान लाए गए थे।