अंतर्राष्ट्रीय
30-Jun-2025


वाशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिका का दावा है कि ईरान के न्यूक्लियर बंकर अब मिट्टी में‍ मिल गए हैं। अमेरिकी सैन्य शक्ति ने फिर दुनिया को दिखा दिया कि वो क्या कर सकती है। डोनाल्‍ड ट्रंप से लेकर व्हाइट हाउस का हर एक शख्‍स आजकल यही बात कर रहा। लेकिन हकीकत यही है? 13000 केजी का वो बम जो माउंट एवरेस्ट के वजन जैसा लगता है। जिसे बम की दुनिया में दैत्‍य का दर्जा मिला हुआ, जो धरती के कई सौ फीट नीचे तक जाकर कंक्रीट और स्टील से बने दुश्मन के बंकरों को फाड़ डालने के लिए बनाया गया था, उसके ईरान में अटैक पर इतने सवाल क्‍यों उठ रहे हैं? रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी एयरफोर्स अब चाहती है कि सुपर-हैवी बंकर बस्टर बम को ही रिटायर कर दिया जाए। इसकी जगह अब नेक्‍स्‍ट जेनरेशन पेनेट्रेटर लेकर आएं। यह 22000 पाउंड यानी तकरीबन 10000 किलो का होगा। रॉकेट बूस्ट के साथ यह आएगा। ‘स्टैंड-ऑफ’ यानी दूरी से ही टारगेट मार सकेगी, जिससे पायलट खतरे में न पड़े। यानी पुराने बम के मुकाबले यह हल्का, स्मार्ट और ज्यादा सुरक्षित होगा। यही सवाल अब उठ रहा है कि अगर जीबीयू-57 इतना गेम चेंजिंग था तो तो उसे तुरंत क्यों बदलने की जरूरत पड़ गई? क्या ट्रंप टीम जो दावा कर रही है, वो महज प्रचार पाने का एक तरीका था? यह कहानी सिर्फ बमों की नहीं है, पूरी रणनीति की है। हकीकत ये है कि ईरान के बंकर पूरी तरह तबाह नहीं हुए। और अब अमेरिका के पास उन्हें फिर से मारने के हथियार भी नहीं हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/30जून2025