राज्य
30-Jun-2025
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- जल गंगा संवर्धन अभियान जन-आंदोलन बना हाय है : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव - मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी टीम को दी बधाई भोपाल/खंडवा (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में विगत 90 दिनों से चल रहे जल गंगा संवर्धन अभियान के सफल समापन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेशवासियों को एक प्रेरणादायी संदेश भेजा है। यह संदेश खंडवा में आयोजित वाटरशेड सम्मेलन और एक पेड़ माँ के नाम कार्यक्रम के माध्यम से जन-सामान्य तक पहुँचा, जिसने सभी जल योद्धाओं, स्वयंसेवी संगठनों, पर्यावरण प्रेमियों और आम नागरिकों को भावुक कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि “मध्यप्रदेश के लाखों लोगों के परिश्रम, समर्पण व आस्था से संचालित ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ को जन आंदोलन बनते देखना एक सुखद अनुभूति है।” उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस अभियान ने जल संरक्षण की दिशा में जन-सामान्य को जागरूक करने का कार्य किया है। भारत में जल को संस्कृति और श्रद्धा का प्रतीक मानते हुए प्रधानमंत्री ने तालाबों, बावड़ियों, नदियों और जल स्त्रोतों की महत्ता को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने इस अभियान को एक “उत्कृष्ट जन-जागरूकता प्रयास” बताते हुए कहा कि यह प्रदेश में सामूहिकता और प्रकृति प्रेम के अद्भुत समन्वय का प्रतीक है। उन्होंने जल संरक्षण को केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय का माध्यम बताया। एक पेड़ माँ के नाम एक प्रेरणादायक पहल मोदी ने अपने संदेश में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम की विशेष सराहना करते हुए कहा कि इससे भूमि का हरियाली स्तर बढ़ेगा और पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा मिलेगी। साथ ही ‘वाटरशेड सम्मेलन’ को उन्होंने जल प्रबंधन की रणनीतियों के साझा मंच के रूप में सराहा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा की प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद और नेतृत्व में चल रहा यह अभियान अब जन-आंदोलन बन चुका है। हम सब इसके प्रभाव को आने वाले वर्षों तक देखेंगे।” यह संदेश प्रदेशवासियों के लिए न केवल प्रेरणा है, बल्कि आने वाले समय में जल संरक्षण को सामाजिक संस्कार का हिस्सा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। प्रदेश की जनता ने जताया आभार प्रधानमंत्री के इस संदेश के बाद मध्यप्रदेश की जनता, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और तमाम जल संरक्षण से जुड़े लोगों ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इसे “यशस्वी भारत के निर्माण में एक नैतिक ऊर्जा” करार दिया है।