01-Jul-2025
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जेद्दा (ईएमएस)। सऊदी अरब को एक कट्टर इस्लामिक मुल्क के तौर पर जाना जाता है। लेकिन दुनिया के बदलावों और आधुनिक जिंदगी के आकर्षण ने सऊदी अरब में भी बदलाव शुरु कर दिए है। हालात यह हैं कि तेजी से इसतरह के युवाओं की संख्या बढ़ रही है, जो शादी नहीं करना चाहते। इसतरह के लोगों में लड़कियों की संख्या भी पर्याप्त है, जो शादी को ना कर रही हैं। इसी विषय को लेकर सऊदी अरब में एक पैनल का गठन हुआ है, जो शादियों की गिरावट के कारणों की पड़ताल करेगा। अब तक पैनल ने जो पाया है, उसके मुकाबिक प्यार, विश्वास जैसी चीजों में कमी आई है। इसके कारण भी शादियों की संख्या घट रही है। पैनल ने कई जगहों पर इस मामले पर सेमिनार भी किए हैं और युवाओं की काउंसिलिंग का प्रयास किया है। रिपोर्ट के अनुसार इस सेमिनार में इस बात पर मंथन हुआ कि आखिर सऊदी अरब जैसे परंपरावादी समाज में भी शादियों की संख्या क्यों कम हो रही है। वहीं मौजूद जानकारों ने बताया कि आखिर क्यों शादियां कम हो रही हैं और इस संकट को कैसे खत्म करे है। इस दौरान यह सवाल भी उठा कि कैसे आधुनिकता के साथ मेल बिठाते हुए अपनी परंपराओं को कायम रखा जा सकता है। इसके अलावा एक एक्सपर्ट ने कहा कि सबसे जरूरी है कि लोगों के बीच संवाद कायम रहे। यदि ऐसा होगा तब लोग रिश्ते में जाएंगे। इसके अलावा एक बात यह भी सामने आई कि युवा पीढ़ी शादियों को लेकर कई बंदिशों को गैर-जरूरी मानती हैं। इन लोगों को लगता है कि वे वित्तीय तौर पर मजबूत हों, तभी शादी करें। वहीं स्थापित परंपरा यह रही है कि जल्दी शादी करें और फिर परिवार के लिए मेहनत करें। जानकार ने कहा कि देरी से शादी करना भी गलत है और इसके कारण साथ आने वाले दोनों लोगों के बीच पहले से ही कई धारणाएं होती हैं और इससे रिश्ते को चलाने में ज्यादा चुनौती आती है। आशीष/ईएमएस 01 जुलाई 2025