मध्यप्रदेश की राजनीति में हाल के वर्षों में नए नेतृत्व के रुप में डॉ. मोहन यादव का उभार को एक बड़ी राजनीतिक घटना के तौर पर देखा गया है। बेहद कम समय में अपनी लगन, मेहनत, समाजसेवा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नजदीकी के दम पर देश की राजनीति में खुद को एक मंझे हुए खिलाडी के तौर पर स्थापित कर लिया है। डॉ. मोहन यादव का मुख्यमंत्री बनना भाजपा की एक रणनीति का हिस्सा था जिसके तहत पार्टी ने एक ओबीसी चेहरे को आगे बढ़ाकर प्रदेश से बाहर भी तमाम सामाजिक समीकरणों को साधने की बेहतर कोशिश की। उनकी मध्यप्रदेश के सीएम के रूप में ताजपोशी न केवल मध्यप्रदेश में, बल्कि पड़ोसी राज्यों विशेष रूप से उत्तर प्रदेश,बिहार में भी भाजपा को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। अब मध्यप्रदेश भाजपा में लंबे समय से चल रही अटकलों का आज अंत हो गया जब बैतूल से विधायक और पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुन लिया गया है। उनकी ताजपोशी न केवल मध्यप्रदेश भाजपा के लिए एक नया अध्याय शुरू करेगी बल्कि यह संगठनात्मक और सामाजिक समीकरणों को भी बेहतर तरीके से साधेगी। हेमंत खंडेलवाल मध्यप्रदेश के बैतूल क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं जिन्होंने एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर पार्टी में संगठन शिल्पी के तौर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी साफ-सुथरी छवि और कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर तालमेल और आरएसएस से बेहतरीन तालमेल ने ने उन्हें इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बनाया। खंडेलवाल की ताजपोशी मालवा-निमाड़ से लेकर महाकौशल सरीखे क्षेत्रों में आने वाले दिनों में भी बड़ा प्रभाव छोड़ेगी जो प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। खंडेलवाल मध्यप्रदेश भाजपा के एक महत्वपूर्ण संगठनकर्ता और रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ उनकी संवाद कला और कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ ने उनके चयन में बड़ी भूमिका निभाई है। हेमंत खंडेलवाल ने उज्जैन जैसे महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा की जीत में उनकी रणनीति ने अहम भूमिका निभाई है। खंडेलवाल की कार्यशैली में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की असाधारण क्षमता है। पार्टी के सीनियर और जूनियर नेताओं के साथ भी उनके सम्बन्ध बेहतरीन रहे हैं। वे उन नेताओं में से हैं जो पर्दे के पीछे रहकर संगठन को मजबूत करते रहे और सबके चहेते बने रहे। हेमंत खंडेलवाल का निर्वाचन निर्विरोध होने के पीछे सामाजिक और जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया है। वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव ओबीसी वर्ग से और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग या अनुसूचित जनजाति वर्ग से अध्यक्ष चुनने की रणनीति के तहत खंडेलवाल का नाम आगे आया। यह कदम भाजपा की सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की नीति को दर्शाता है। हेमंत खंडेलवाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत रही है। उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं जिससे संगठन की उन्हें अच्छी समझ रही है। खंडेलवाल की बेदाग़ ईमानदार छवि और साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड ने उन्हें अन्य दावेदारों से कहीं आगे करने का काम किया है। हेमंत खंडेलवाल ने 2007 में पहली बार बैतूल लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की थी। यह सीट उनके पिता विजय खंडेलवाल के निधन के बाद खाली हुई थी। 2009 में बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई लेकिन खंडेलवाल की भूमिका इसके बाद भी प्रभावशाली बनी रही। उन्होंने 2013 में विधायक के रूप में जीत दर्ज की। 2018 में वह चुनाव हार गए। 2023 में वह फिर से विधायक चुने गए। वर्तमान में हेमंत खंडेलवाल प्रदेश भाजपा के कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष भी हैं। हेमंत खंडेलवाल एक कुशल संगठनकर्ता होने के साथ चुनाव रणनीति में बेहतरीन रणनीति के साथ कार्य करने के लिए जाने जाते हैं । मध्यप्रदेश भाजपा के कुशल चुनावी संचालकों में से एक हेमंत खंडेलवाल रहे हैं। किसी राजनेता की छवि को जनता के बीच स्थापित करते हुए किस तरीके से अनूकूल परिणाम लाए जा सकते हैं यह हेमंत खंडेलवाल से बेहतर शायद ही कोई नेता महसूस कर सकता है। हेमंत खंडेलवाल ने भाजपा के संगठन को अपने व्यवहारिक और सांगठनिक कार्यों के जरिए सहेजा है। उन्होंने खुद को गुटबाजी से ऊपर रखते हुए पार्टी को एकजुट करने की नीतिगत कोशिशें की हैं। इसी परिपक्वता ने उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर आज अन्य नेताओं से कहीं आगे बेहद मजबूत किया है। अब जबकि मध्यप्रदेश कांग्रेस का युवा वर्ग गुटबाजी और भारी आंतरिक कलह से जूझ रहा है, हेमंत खंडेलवाल जैसे नेता भाजपा के लिए नई ऊर्जा और उम्मीद का प्रतीक बनकर उभर रहे हैं। उन्होंने हमेशा पार्टी हित को सदैव सर्वोपरि रखा है। हेमंत खंडेलवाल ने अपने अब तक के राजनीतिक सफर में कुशल संगठन शिल्पी, कार्यकर्ताओं के साथ शालीनता, संवाद और एक ईमानदार जनप्रतिनिधि होने की गम्भीरता दिखाई है यही उनकी सबसे बड़ी यूएसपी रही है जिसका लाभ उन्हें आज मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मिला है। डॉ.मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल की बेहतरीन ट्यूनिंग रही है। दोनों ही नेता मध्यप्रदेश के उस क्षेत्र से आते हैं जो भाजपा का एक बड़ा मजबूत गढ़ रहा है। इस क्षेत्र में दोनों की गहरी पैठ और आपसी समन्वय ने भाजपा को न केवल विधानसभा चुनावों में बल्कि स्थानीय चुनावों में भी मजबूती प्रदान की है। मौजूदा दौर में प्रदेश की सियासत में यह जोड़ी न केवल भारतीय जनता पार्टी के भीतर अपनी मजबूत स्थिति के लिए जानी जा रही है, बल्कि उनकी आपसी समझ और रणनीतिक समन्वय ने मध्य प्रदेश भाजपा की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ा है। पिछले कुछ समय से भाजपा में जिस तरीके से विधायक संगठन को लगातार ताक पर रखते हुए सरकार को आईना दिखाने से पीछे नहीं हैं उसके मद्देनजर मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल की नई जोड़ी मध्यप्रदेश भाजपा के लिए संजीवनी के समान कारगर साबित हो सकती है। हेमंत खंडेलवाल की प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी मध्यप्रदेश भाजपा के लिए एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकती है। एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता और ठोस निर्णयों से खुद को जननायक बनाया है वहीं हेमंत खंडेलवाल ने सामान्य कार्यकर्ता के रूप में संगठन शिल्पी के तौर पर पार्टी को मजबूत करने के साथ ही पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का काम किया है। डॉ. मोहन यादव का ओबीसी समुदाय से होना और हेमंत खंडेलवाल की सामान्य वैश्य वर्ग में पकड़ ने भाजपा को विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच संतुलन बनाने में मदद की है। मध्यप्रदेश में ओबीसी समुदाय की 52 फीसदी आबादी को देखते हुए यह जोड़ी अब आने वाले दिनों में सामाजिक समावेश की दिशा में एक मजबूत कड़ी बनकर उभर सकती है।भविष्य में इस जोड़ी की ट्यूनिंग बीजेपी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। डॉ.मोहन यादव का मुख्यमंत्री के रूप में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और खंडेलवाल की संगठनात्मक रणनीति मिलकर मध्यप्रदेश भाजपा को और मजबूत कर सकती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा संगठन दोनों को भी अब यह भरोसा है कि हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बना रहेगा। इसी को देखते हुए सभी कार्यकर्ता उनके नाम पर सहमत नजर आये हैं। हेमंत खंडेलवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन को मजबूत करने से लेकर पार्टी के सभी विधायकों, सांसदों और कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर समन्वय की होगी। आगामी विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए संगठन के भीतर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने से लेकर जनता के बीच पार्टी की नीतियों को प्रभावी ढंग से ले जाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी। उनकी जमीनी सक्रियता और संगठन के प्रति समर्पण ने उन्हें यह पद दिलाया है। यह दर्शाता है कि भाजपा में नेतृत्व चयन में सोशल मीडिया की चमक से ज्यादा जमीनी कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है। हेमंत खंडेलवाल की ताजपोशी मध्यप्रदेश भाजपा के लिए एक नई दिशा और ऊर्जा लाने की उम्मीद की जा रही है। उनकी नियुक्ति से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है और यह माना जा रहा है कि वे अपने करिश्मे से संगठन को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। इस ताजपोशी ने यह भी साबित किया है मध्यप्रदेश भाजपा अब एक नए युग में प्रवेश कर रही है और वह नए नेतृत्व और सामान्य से कार्यकर्ता को भी उभरने का बेहतर मौका दे रही है। डॉ.मोहन यादव का विजन और हेमंत खंडेलवाल का बेहतरीन समन्वय अब मध्यप्रदेश भाजपा में सफलता का नया अध्याय लिखेगा। यह जोड़ी आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश भाजपा के लिए भी एक बड़ा सकारात्मक संदेश देगी। भविष्य में इस जोड़ी का समन्वय और रणनीति प्रदेश भाजपा को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है। हर्षवर्धन पान्डे/ईएमएसस/02जुलाई2025