टूथपेस्ट, बर्तन, कपड़े और जूते हो सकते हैं सस्ते -सरकार इन आइटम्स को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में लाने पर विचार कर रही नई दिल्ली(ईएमएस)। इस साल की शुरुआत में इनकम टैक्स में कई रियायतें देने के बाद केंद्र सरकार अब मिडिल-क्लास और लोअर-इनकम फैमिली को गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी में कटौती कर राहत देने की तैयारी कर रही है। जिससे टूथपेस्ट, बर्तन, कपड़े, जूते जैसे आम आदमी के इस्तेमाल में आने वाले आइटम्स जल्द ही सस्ते हो सकते हैं। दरअसल, 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक इस महीने के आखिरी में बुलाई जाएगी, जिसमें सरकार 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को पूरी तरह से खत्म करने या वर्तमान में 12 प्रतिशत टैक्स वाले आइटम्स को 5 प्रतिशत स्लैब में ला सकती है। सूत्रों के अनुसार, इस रिस्ट्रक्चरिंग यानी बदलाव में मिडिल-क्लास और इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के यूज में आने वाले आइटम्स शामिल होंगे। इनमें टूथपेस्ट और टूथ पाउडर, छाते, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर और रसोई के बर्तन, इलेक्ट्रिक इस्त्री, गीजर, स्माल-कैपेसिटी वाशिंग मशीन, साइकिल, 1,000 रुपए से ज्यादा कीमत वाले रेडीमेड कपड़े, 500 से 1,000 रुपए के बीच की कीमत वाले जूते, स्टेशनरी आइटम, वेक्सीन, सिरेमिक टाइलें और एग्रीकल्चर टूल्स शामिल हैं। सरकार पर पड़ेगा 50,000 करोड़ का बोझ अगर प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो इनमें से कई आइटम्स सस्ते हो जाएंगे। सरकार इजी-टु-कंप्लाय यानी आसान जीएसटी पर भी विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, इस कदम से सरकार पर 40,000 करोड़ रुपए से 50,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा, लेकिन वह शुरुआती असर को झेलने के लिए तैयार है। इससे खपत में बढ़ोतरी हो सकती है। केंद्र का मानना है कि कम कीमतों से बिक्री बढ़ेगी, जिससे टैक्स-बेस बढ़ेगा और लॉन्ग टर्म जीएसटी कलेक्शन में ग्रोथ होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक इंटरव्यू में जीएसटी रेट्स में संभावित बदलावों का संकेत देते हुए कहा था कि सरकार जरूरी वस्तुओं पर मिडिल-क्लास को राहत देने पर विचार कर रही है। जीएसटी के तहत दरों में बदलाव के लिए जीएसटी काउंसिल से रिकमेंडेशन की जरूरत होती है, जहां हर राज्य को मतदान का अधिकार है। वर्तमान में पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से विरोध की खबरें आ रही हैं। विनोद उपाध्याय / 02 जुलाई, 2025